लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव (MLC Elections) में भाजपा ने 36 में से 33 सीटों पर जीत दर्ज की है, तो वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) को शर्मनाक शिकस्त का सामना करना पड़ा है। एक महीने पहले ही राज्य की 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने वाली सपा इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई है। चुनावी परिणामों पर घंटों तक मौन रहने के बाद जब सपा ने पहली प्रतिक्रिया दी तो अपनी शिकस्त पर कुछ कहे बागरी, जीतने वालों की जाति पर सवाल खड़े कर दिए।
सपा ने भाजपा पर SC, ST और OBC समुदाय को दरकिनार लगाने का इल्जाम लगाते हुए कहा कि जीतने वाले 36 प्रत्याशियों में से 18 सीएम योगी आदित्यनाथ के स्वजातीय (ठाकुर) हैं। सपा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'दूसरों को जातिवादी बताने वाली भाजपा की ये है सच्चाई! एमएलसी चुनाव की 36 सीटों में से कुल 18 पर मुख्यमंत्री के स्वजातीय जीतकर बने एमएलसी। एससी, एसटी, ओबीसी को दरकिनार कर ये कैसा "सबका साथ, सबका विकास"? सामाजिक न्याय को लोकतंत्र के जरिए मजबूत करने की लड़ाई लड़ते रहेंगे समाजवादी।'
हालांकि, सपा के इस ट्वीट के बाद लोगों ने पार्टी को उसकी तरफ से ज्यादातर यादव प्रत्याशी उतारे जाने की भी याद दिलाई। विधानसभा चुनाव में यादव-मुस्लिम समीकरण से इतर बड़ी तादाद में ओबीसी प्रत्याशियों को टिकट देने वाले अखिलेश यादव ने MLC चुनाव में एक बार फिर पुराना ही दांव आजमाया था। सपा ने 35 में 21 पर यादव प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि, सवालों से बचने के लिए पार्टी ने उम्मीदवारों के सरनेम सार्वजनिक नहीं किए थे। 21 यादवों के अलावा सपा ने चार मुस्लिमों, चार ब्राह्मण को चुनाव लड़ाया था। लेकिन सपा एक भी सीट न जीत सकी और अब वह हार का ठीकरा ठाकुरों पर फोड़ रही है।
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