नई दिल्ली/ लखनऊ : जिस साइकिल पर सवार होकर पिता और पुत्र ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक नई गति दी, अब उस साइकिल चुनाव चिन्ह पर अधिकार को लेकर 78 साल के पिता और 43 साल के बेटे के बीच संग्राम इस स्थिति में पहुँच चुका है कि कल मुलायम सिंह ने चुनाव आयोग के सामने दावा किया था, जबकि आज अखिलेश खेमा अपना दावा पेश करेगा.
गौरतलब है कि चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर दावा जताने के लिए अखिलेश यादव गुट आज मंगलवार को चुनाव आयोग से मिलेगा. अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव, नरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा और अभिषेक मिश्रा चुनाव आयोग जा सकते है.
सच तो यह है कि बेटे अखिलेश से शक्ति परीक्षण में शिकस्त खाने के बाद पिता मुलायम सिंह पार्टी की पहचान की आखिरी लड़ाई लड़ रहे है. खराब सेहत के बाद भी जनवरी की कड़कड़ाती ठण्ड में मुलायम सिंह अपनी इस साइकिल को बचाने लखनऊ से दिल्ली पहुंचे.बता दें कि सोमवार को निर्वाचन आयोग ने मुलायम सिंह को साढ़े चार बजे मिलने का वक्त दिया था. तय समय पर मुलायम अपने साथ शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा को लेकर निर्वाचन आयोग पहुंचे और आयोग के सामने साइकिल पर अपना दावा पेश किया.
क्या होगा
अब जैसा कि पता ही है कि समाजवादी पार्टी में अब झगड़ा केवल इस बात पर हो रहा है कि पार्टी और चुनाव चिंह्न पर किस गुट का कब्जा होगा ? मुलायम सिंह और अखिलेश यादव दोनों खुद को समाजवादी पार्टी का असली अध्यक्ष बता रहे हैं. ऐसे में अब सबकी नजर चुनाव आयोग पर टिकी है.पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी की मानें तो चुनाव चिह्न पर फैसला देने में चुनाव आयोग को वक्त लग सकता है, ऐसे में आयोग संभवत: साइकिल चुनाव चिह्न को जब्त करते हुए दोनों धड़े को दो अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है. चुनाव आयोग के फैसले का सबको इंतजार रहेगा.