लखनऊ: लोकसभा में मंगलवार को संभल हिंसा के मामले पर तीखी बहस हुई। समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने इसे एक सोची-समझी साजिश बताया और पुलिस व प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाने की मांग की। अखिलेश ने कहा कि इस घटना से वर्षों से कायम भाईचारे को खत्म करने की कोशिश की गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि शाही जामा मस्जिद में पहले ही सर्वे हो चुका था, लेकिन बिना किसी नए आदेश के अधिकारी दोबारा सर्वे करने पहुंचे। इस दौरान जब स्थानीय लोगों ने इसकी वजह पूछी, तो पुलिस ने बदसलूकी की। इससे गुस्साए लोगों ने पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की और 5 निर्दोष लोग मारे गए। हालाँकि, बीजेपी सांसद और मायावती सरकार में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके बृजलाल ने अखिलेश यादव के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि हिंसा के पीछे समाजवादी पार्टी की साजिश थी। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष तुर्क और पठान समुदाय के बीच प्रभुत्व की लड़ाई थी, जिसे अखिलेश यादव की पार्टी ने बढ़ावा दिया। बृजलाल ने अखिलेश के बयान को जनता के लिए अविश्वसनीय और गुमराह करने वाला बताया।
अखिलेश ने इस घटना को बीजेपी की नीतियों से जोड़ा और कहा कि बार-बार मस्जिदों की खुदाई और सर्वे की बात करके सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से देश की गंगा-जमुनी तहजीब को खतरा है और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए। संभल हिंसा पर दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, लेकिन इस घटना ने सांप्रदायिक सौहार्द और प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
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