बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म का मुद्दा उठ गया है हर कोई इस मुद्दे पर बात कर रहा है. ऐसे में केवल बॉलीवुड ही नहीं बल्कि म्यूजिक इंडस्ट्री में भी इसी विषय पर बात हो रही है. बीते दिनों ही मशहूर सिंगर सोनू निगम ने कहा, "म्यूजिक इंडस्ट्री में भी अगर गुटबाजी खत्म नहीं हुई तो यहां से भी कोई बुरी खबर आ सकती है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर वीडियो जारी कर कहा कि फिल्मों से बड़ा है म्यूजिक माफिया. म्यूजिक इंडस्ट्री में जो नए बच्चे आए हैं, वो परेशान हैं. म्यूजिक इंडस्ट्री के दो लोगों के हाथों में ताकत है, जिनकी कंपनी है, जो फैसला करते हैं कि इस सिंगर को लो, दूसरों को नहीं. आप लोग ऐसा मत करो. बददुआ बुरी चीज होती है."
वहीं सोनू निगम के बाद कई सिंगर्स उनके सपोर्ट में नजर आए. अब उनकी शिकायत पर जाने-माने गीतकार समीर वाजिब ने एक वेबसाइट से कहा, "जी हां, ये होता है. मैं कई सालों से काम कर रहा हूं. पहले बहुत सारी म्यूजिक कम्पनियां हुआ करती थीं लेकिन अभी गिनकर सिर्फ दो ही कंपनियां हैं जिसका प्रभाव लोगों पर पड़ने लगा है. पहले ये प्रभाव समझ नहीं आता था. टिप्स, बालाजी, वीनस और सोनी जैसी और भी कंपनी थी लेकिन अब वो म्यूजिक में इतना काम नहीं कर रही हैं. इसलिए ये बात पूरी तरह से सही है कि एक गुट है जो माफिया की तरह काम कर रहा है और उन्हें जो पसंद है वो वही कर रहे हैं. वो मौका भी उन्हीं को देते हैं जिन्हें वो पसंद करते हैं. इसकी वजह से अच्छा टैलेंट वहां नहीं पहुंच पाता है, जहां उन्हें पहुंचना चाहिए."
इसके अलावा उन्होंने कहा, "यही तो दुर्भाग्य है, इसी का रोना है, एक बार जिसने अच्छा काम किया है, वो हजार बार भी अच्छा ही काम करेगा. मजरूह सुल्तानपुरी, हरसत जयपुरी और भी कई बड़े लोग आखिरी सांस तक लिखते रहे लेकिन आज जब मौका ही नहीं दिया जाएगा तो काम कैसे करेंगे? जबकि ये लोग मेरे कई गाने उठा कर रीक्रिएट कर रहे हैं, अंखियों से गोली मारे... या दिलबर दिलबर..., दुर्भाग्य ये है कि अभी हम हैं, उसके बाद भी हमसे ना लिखवाकर हमारे ही गाने को किसी और से लिखवाया जा रहा है. जिस आदमी ने पूरा गाना लिखा तो क्या रीक्रिएट करते वक्त वो और नई चार लाइन नहीं लिख सकता क्या? पता नहीं उन्हें क्या तकलीफ है. उन्होंने हमें बॉयकॉट ही कर दिया है. काम ही नहीं करना उनको हमारे साथ." इसके अलावा उन्होंने कहा, "हमारे यहां एकता की सबसे बड़ी समस्या है. आज भी कुछ लोग उनके समर्थन में खड़े हैं और ये वो ही चार लोग हैं जो उनके साथ काम करते आ रहे हैं. लेकिन अगर हर बार उन्हीं चार लोगों को काम देते रहेंगे तो चार हजार लोग कहां जाएंगे. आप काम सबके साथ करो, आपकी पसंद के ऊपर है. आपको पसंद आए तो करो, मगर आप सुनने को ही तैयार नहीं हैं और ना ही काम देने को. अगर आपको मेरा गाना पसंद है तो फिर काम देने में क्या परेशानी है."
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