उज्जैन में लगेगी दुनिया की पहली वैदिक घडी.., जानिए इसके अंकों का रहस्य

उज्जैन में लगेगी दुनिया की पहली वैदिक घडी.., जानिए इसके अंकों का रहस्य
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उज्जैन: महाकाल की नगरी उज्जैन में विश्व की पहली वैदिक घड़ी लगाई जाएगी। सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ, चैत्र प्रतिपदा के दिन यानी 2 अप्रैल को टॉवर चौराहे पर वैदिक घड़ी लगाएगा। खास बात यह है कि इस वैदिक घड़ी में ग्रीन विच टाइम जोन के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में विभाजित किया गया है। इस घड़ी को आम जनता मोबाइल और टीवी पर भी लगा सकेगी। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल एप लॉन्च किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य् लोगों को भारतीय काल गणना से परिचित कराना है। 

सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ के डायरेक्टर डॉ. श्रीराम तिवारी के अनुसार, उज्जैन के टावर चौराहे पर वैदिक घड़ी लगाने के साथ इंदौर मार्ग पर स्थित नानाखेड़ा चौराहे पर एक समय स्तंभ भी बनाया जाएगा। साथ ही, विक्रम पंचांग का प्रकाशन भी होगा। इसके लिए राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी निधि से राशि प्रदान की है। बता दें कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने ही विक्रम संवत् शुरु किया था। श्रीराम तिवारी ने विश्वा‍स जताते हुए कहा है कि वैदिक घड़ी लगने के बाद उज्जैन का प्राचीन गौरव लौटेगा और विश्व के इतिहास में फिर से इस नगरी का नाम अंकित होगा। उज्जैन के बाद देश के दूसरे बड़े शहरों में भी वैदिक घड़ी लगाने की योजना तैयार की जाएगी। 

डॉ. तिवारी के मुताबिक, वैदिक घड़ी में मौजूदा ग्रीन विच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में विभाजित किया गया है। प्रत्येक घटी के धार्मिक नाम हैं, जिनका विशेष मतलब है। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकंड वाली सुई रहेगी। यह घड़ी सूर्योदय के आधार पर वक़्त की गणना करेगी। इसका इस्तेमाल मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त, राहु काल आदि) की गणना और समय से जुड़े अन्य कार्यों में भी किया जा सकेगा। वैदिक घड़ी इंटरनेट और GPS से जुड़ी होगी, जिसके कारण कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। 

क्या है इसका महत्व :-

इस वैदिक घड़ी में 12:00 बजने की जगह आदित्या: लिखा हुआ है, जिसका मतलब यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं… अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु।

- इसी प्रकार 1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है, इसका मतलब यह है कि ब्रह्म एक ही होता है- एकोब्रह्मद्वितीयो_नास्ति।

- 2:00 बजने की जगह अश्विनौ लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं। नासत्य और द्स्त्र।

- 3:00 बजे की जगह त्रिगुणा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं। सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण।

-  4:00 बजे की जगह चतुर्वेदा: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार तरह के होते हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

- वहीं, 5:00 बजे की जगह पंचप्राणा: लिखा हुआ है, जिसका मतलब  है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं। अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान।

- 6:00 की जगह वैदिक घडी में षड्र्सा: लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं। मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय।

- 7:00 बजे की जगह सप्तर्षय: लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि सप्त ऋषि 7 हुए हैं। कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ।

- 8:00 बजे की जगह अष्ट_सिद्धिय: लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है। अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।

- 9:00 बजे की जगह नवद्रव्याणि अभियान लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं। पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व।

- 10:00 बजने को वैदिक घडी में दशदिशः लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती है। पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश, पाताल।

- 11:00 बजने की जगह पर रुद्रा: लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं। कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव।

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