विष्णु पुराण के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप से स्वर्ग में धन, ऐश्वर्य और वैभव खत्म हो गया। वहीं इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे। उस दौरान विष्णु जी ने देवों और असुरों के बीच समुद्र मंथन कराने का उपाय बताया। जी हाँ और इसके बाद समुद्र मंथन से 14 बहुमूल्य रत्न निकले। कहते हैं इन रत्नों के स्वरूपों को अगर घर लाकर रख लिया जाए तो स्वर्ग की तरह घर में भी धन, ऐश्वर्य और वैभव की कमी नहीं रहती है। आज हम आपको इन्ही 5 रत्नों के बारे में बताने जा रहे हैं।
ऐरावत हाथी- हाथियों में श्रेष्ठ एरावत हाथी समुद्र मंथन से निकला था। जी हाँ और कहा जाता है एरावत हाथी सफेद रंग का था, जिसमें उड़ान भरने की शक्ति थी। वहीं इंद्र देव ने इस हाथी को अपना वाहन बना लिया था। आपको बता दें कि वास्तु के अनुसार, घर में क्रिस्टल या सफेद पत्थर का हाथी रखने से सुख, समृद्धि का वास होता है।
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पांचजन्य शंख- समुद्र मंथन के 14 रत्नों में से एक पांचजन्य शंख भी है। यह बहुमूल्य शंख भगवान विष्णु ने अपने पास रख लिया था। जी हाँ और आपको उनकी हर तस्वीर में ये शंख आसानी से दिख जाएगा। ऐसे में इस शंख को घर के मंदिर में रखना बहुत शुभ माना जाता है।
उच्चै:श्रवा घोड़ा- आकाश में उड़ान भरने वाला सफेद रंग का उच्चै:श्रवा घोड़ा भी समुद्र मंथन से निकला था। कहते हैं यह घोड़ा असुरों के राजा बलि को मिला था और घर में सफेद घोड़े की प्रतिमा या तस्वीर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है।
पारिजात के फूल- हिंदू धर्म में पारिजात के वृक्ष का विशेष महत्व बताया गया है। पारिजात का वृक्ष भी समुद्र मंथन से ही बाहर निकला था और घर के मंदिर में भगवान के समक्ष पारिजात के फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है। कहते हैं घर में बिखरी पारिजात की खुशबू उन्नति और संपन्नता के द्वार खोलती है।
अमृत कलश- समुद्र मंथन में सबसे आखिर में अमृत कलश बाहर आया था। जी हाँ और यह कलश भगवान धन्वंतरि लेकर समुद्र से निकले थे। कहा जाता है देवताओं और असुरों के बीच इस अमृत कलश को प्राप्त करने के लिए विवाद हुआ। उसी के बाद से प्रत्येक शुभ और मांगलिक कार्यों में अमृत कलश को स्थापित करने की परंपरा चली आ रही है। कहते हैं जिस घर में अमृत कलश होता है, वहां दुख-मुसीबत कभी घेरा नहीं डालते हैं। इससे अरोग्य का भी वरदान प्राप्त होता है।
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