आज के समय में हिन्दू धर्म में परिक्रमा का बड़ा महत्त्व माना जाता है और परिक्रमा का मतलब माना जाता है कि सामान्य स्थान, स्थान विशेष या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी बाहिनी तरफ से घूमना। जी दरअसल इसको 'प्रदक्षिणा करना' भी कहा जाता है और इसे षोडशोपचार पूजा का एक अंग माना जाता है। आपको बता दें कि प्रदक्षिणा की प्रथा अतिप्राचीन है और मंदिर, तीर्थ, देवता, नदी, वृक्ष आदि की परिक्रमा लगाने का अलग अलग महत्व है। ऐसे में अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं पीपल की परिक्रमा लगाने का क्या लाभ मिलता है।
1। स्कन्द पुराण के मुताबिक पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का वास है और पीपल की छाया में ऑक्सीजन से भरपूर आरोग्यवर्धक वातावरण निर्मित होता है। कहा जाता है इस वातावरण से वात, पित्त और कफ का शमन-नियमन होता है। वहीं तीनों स्थितियों का संतुलन बना रहे इसलिए पीपल की कम 108 परिक्रमा लगाने की परम्परा है।
2। कहा जाता है पीपल की पूजा करने से मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
3। कहते हैं अश्वत्थोपनयन व्रत के संदर्भ में महर्षि शौनक ने कहा है, ''कि मंगल मुहूर्त में पीपल वृक्ष की नित्य 3 बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है।धन समृद्धि बढ़ती है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।''
4। कहते हैं शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा और सात परिक्रमा करने के बाद काले तिल से युक्त सरसो के तेल के दीपक को जलाकर छायादान करने से शनि का प्रकोप हट जाता है।
5। कहते हैं श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा परिक्रमा करने से सभी तरह के संकट से मुक्ति मिलने लगती है।
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