नई दिल्ली: दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हाल ही में विवाद खड़ा हो गया जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने वाल्मीकि जयंती मनाने वाले दलित सफाई कर्मचारियों को परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि पिछले छह वर्षों से यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय परिसर में मनाया जा रहा था, लेकिन इस बार अनुमति नहीं दी गई। जब सफाई कर्मचारी महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा लेकर जाने लगे, तो गार्ड ने उन्हें रोक दिया और कहा कि मूर्ति को अंदर नहीं लाया जा सकता।
इस पर सफाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने सभी आवश्यक अनुमतियाँ प्राप्त की थीं, फिर भी उन्हें परिसर में प्रवेश से वंचित कर दिया गया। विश्वविद्यालय के गार्ड ने कहा कि मूर्ति बहुत बड़ी थी, इसलिए इसे परिसर में लाने की अनुमति नहीं थी। इस बीच, भाजपा पार्षद मनीष चौधरी ने विश्वविद्यालय के बाहर महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति की पूजा की और जयंती मनाई, जिसमें सफाई कर्मचारी भी शामिल हुए।
New one from #JamiaMilliaIslamia
— Subhi Vishwakarma (@subhi_karma) October 24, 2024
This happens when a Central Govt funded institute falls in a "Muslim Area"
On October 23, the Bharatiya Valmiki Samaj organised the 'Valmiki Prakatotsav Diwas'. They had permission to hold the event on campus; however, when the organisers… pic.twitter.com/g5EQVa3bRI
किसी सफाई कर्मचारी ने मीडिया को बताया कि गार्ड ने उनसे कहा कि उन्हें मूर्ति के बिना ही कार्यक्रम मनाने के लिए फोटो लाने की आवश्यकता है। अन्य कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रार नसीम हैदर ने उन्हें मूर्ति के अंदर ले जाने से मना कर दिया। सफाई कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें पहले कभी इस तरह का दुर्व्यवहार नहीं सहना पड़ा था और उनका आस्था पर चोट की गई है। यह पहली बार नहीं है जब जामिया प्रशासन ने दलित कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार किया है। इससे पहले, विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ जातिसूचक गालियाँ देने के लिए SC/ST एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए थे। कई कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय में जातिवाद और भेदभाव की घटनाएँ आम हैं।
हाल ही में, जामिया के नए कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ पर अनुसूचित जनजाति की एक महिला कर्मचारी के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगा है। महिला कर्मचारी ने शिकायत की थी कि उनके करियर को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की गई। इससे पहले 22 अक्टूबर 2024 को, विश्वविद्यालय में दीपावली के त्योहार का जश्न मनाने वाले छात्रों के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था। कुछ छात्रों की रंगोली को मिटा दिया गया और दीपों को तोड़ दिया गया। इससे झड़प हुई और कई लोग घायल हो गए।
इन सभी घटनाओं ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कट्टरपंथी रूख को उजागर किया है, जहां धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर भेदभाव और दुर्व्यवहार की घटनाएँ लगातार हो रही हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस नीति पर सवाल उठने लगे हैं, खासकर तब जब सफाई कर्मचारियों की धार्मिक आस्था का सम्मान नहीं किया गया है।
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