सामना में बोले संजय राउत- 'देश को एक मनमोहन सिंह और रुजवेल्ट की जरूरत है'

सामना में बोले संजय राउत- 'देश को एक मनमोहन सिंह और रुजवेल्ट की जरूरत है'
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मुंबई: कोरोना संक्रमण के कारण अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा था। ऐसे में जैसे-तैसे बाहर ही निकले थे कि कोरोना की दूसरी लहर आ गई और एक बार फिर से देश की अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ा संकट आ गया। इस समय शेयर बाजार में हर दिन इसका असर नजर आ रहा है। अब देश की आज की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने शिवसेना का मुखपत्र सामना में बहुत कुछ लिखा है। पत्र में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट द्वारा लिए गए फैसलों की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री मोदी को सलाह दी है कि देश को एक मनमोहन सिंह और रुजवेल्ट की जरूरत है।

इसी के साथ अपने लेख ‘रोखठोक’ में संजय राउत ने पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कामकाज पर टिप्पणी करते हुए लिखा है, 'शेयर बाजार का गिरना अब कोई नई बात नहीं रह गई है। मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन की छड़ें रखी हुई एक गाड़ी मिली, शेयर बाजार के गिरने के लिए यह वजह भी काफी है। इतने कमज़ोर पैरों पर हमारी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है। पहले युद्ध या महायुद्ध के समय अर्थव्यवस्था गिरा करती थी, अब कोरोना संकट की वजह से शेयर बाजार में रोज ही पतझड़ शुरू है। सिर्फ अपने देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मंदी की एक भयानक लहर आई है।' वहीं आगे लिखा गया है, “भारत जैसे देश में उत्पादन की गति कम हुई है। लोगों नोटबंदी के वक्त नौकरियां गंवाई थीं। अब लॉकडाउन में बचे हुए लोगों ने भी नौकरियां गंवाई। बाजार में हलचल नहीं है। लोगों में पैसे खर्च करने की क्षमता खत्म हो गई है। देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण हैं। ऐसे संकट के समय में एक नए मनमोहन सिंह को तैयार कर उनके हाथ में देश की अर्थव्यवस्था सौंपने की ज़रूरत है।' इसी के साथ सामना में आगे लिखा हुआ है, 'आज देश में 60 प्रतिशत लोग बेरोजगार हो चुके हैं। एनएनपी नीचे चली गई है। लेकिन देश चलाने वाले उदासीन और आत्मसंतुष्ट हैं। पीएम मोदी एक राजनीतिक व्यक्ति हैं। पिछले कुछ महीनों में अर्थव्यस्था के अनेक अच्छे जानकार उन्हें छोड़ कर चले गए। गुजरात व्यापारियों का प्रदेश है। ‘हम बनिया लोग हैं ‘ ऐसा वे लोग बार-बार अभिमान से कहते हैं। मोदी ने भी बार-बार यह दोहराया है। लेकिन व्यापारी दुकान ठंडा करके बैठे हुए हैं।'

इसी के साथ सामना में संजय राऊत ने देश की आर्थिक स्थिति की तुलना अमरिका में आई 30 के दशक की भयानक आर्थिक मंदी से तुलना की है। सामना में उन्होंने लिखा है कि ''29 अक्टूबर 1929 में अमेरिका का वायदा बाजार गिर गया था और वहां एक भयानक मंदी आई थी। लेकिन एक साल पहले ही तत्कालीन प्रेसिडेंट हूवर ने अमेरिकन कांग्रेस को भेजे अपने संदेश में देश की आबादी आबाद होने की बात कही थी। वही राजनीतिक माहौल आज अपने देश में भी है। अस्पताल व राजनीति छोड़ कर देश में कुछ भी शुरू नहीं है। श्मशान और कब्रिस्तान भी चौबीसों घंटे शुरू है। श्मशान में लकड़ियों की कमी है और कब्रिस्तान में ज़मीनें कम पड़ रही हैं। आबादी आबाद होने के लक्षण नहीं हैं।' इसके अलावा भी संजय राउत ने बहुत सी कटु बातों को सामना में लिखा है।

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