मार्गशीर्ष यानी अगहन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली संकष्टी चतुर्थी इस बार मंगलवार, 23 नवंबर 2021 को है। इस दिन गणपति जी का पूजन किया जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं संकष्टी चतुर्थी की कथा। कहा जाता है इस कथा को पढ़ने या सुनने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनचाहे काम सिद्ध हो जाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी की कथा- एक बार मां पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने द्वार पर भगवान गणेश को खड़ा कर दिया और कहा कोई अंदर न आ पाए। लेकिन तभी कुछ देर बाद भगवान शिव वहां पहुंच गए तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र गणेश का यह हाल देखकर मां पार्वती बहुत दुखी हो गई और शिव जी से अपने पुत्र को जीवित करने का हठ करने लगीं। जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया। तब से उनका नाम गजमुख , गजानन हुआ। इसी दिन से भगवान गणपति को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी हासिल हुआ और उन्हें वरदान मिला कि जो भी भक्त या देवता आपकी पूजा व व्रत करेगा उनके सारे संकटों का हरण होगा और मनोकामना पूरी होगी। इसी के बाद से संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाने लगा और इस दिन जो गणपति बप्पा का पूजन करता है, इस व्रत को करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।
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