आप सभी को बता दें कि कल यानी 22 फरवरी को संकष्टी चतुर्थी है. ऐसे में भगवान गणेशजी आदिकाल से पूजित रहे हैं और वेदों में, पुराणों में (शिवपुराण, स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि) में गणेशजी के संबंध में अनेक लीला कथाएं तथा पूजा-पद्धतियां मिल जाती हैं. आप सभी जानते ही होंगे कि उनके नाम से गणेश पुराण भी सर्वसुलभ है और पुराने समय में अलग-अलग देवता को मानने वाले संप्रदाय अलग-अलग कहे जाते थे. कहते हैं श्री आदिशंकराचार्य द्वारा यह प्रतिपादित किया गया कि सभी देवता ब्रह्मस्वरूप हैं तथा जन साधारण ने उनके द्वारा बतलाए गए मार्ग को अंगीकार कर लिया तथा स्मार्त कहलाए. कहा गया है देवता कोई भी हो, पूजा कोई भी हो, गणेश पूजन के बगैर सब निरर्थक है.
जो कुछ इस प्रकार है -
'विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा।
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते।।
तथा
'महिमा जासु जान गनराऊ।
प्रथम पूजित नाम प्रभाऊ।।
मुद्गल पुराण में 'वक्रतुण्डाय हुं' जप का निर्देश दिया गया है. आप सभी को बता दें कि गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए कई पूजा-व्रत करने का निर्देश दिया गया है जो आप सभी जानते ही होंगे. ऐसे में संकष्टी चतुर्थी पर गणेश भगवान की सही विधि से पूजा करने से आपको बड़ा और महालाभ हो सकता है.
कैसे करें गणेश पूजन शुक्ल एवं कृष्ण पक्ष में -
* शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत कर गणेश पूजन का गणेशजी द्वारा स्वयं निर्देश दिया गया है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत कर चन्द्र दर्शन कर गणेश पूजन कर ब्राह्मण भोजन करवाने से अर्थ-धर्म-काम-मोक्ष सभी अभिलाषित पदार्थ मिल जाते हैं यह भी खुद भगवान गणेश ने कहा है.
अगर घर में नहीं टिकता पैसा तो भगवान गणेश को अर्पित कर दें यह चीज़
तिजोरी में चाहते हैं खूब सारा धन तो भगवान गणेश की सफेद प्रतिमा पर चढ़ा दें यह चीज़