सांवलिया सेठ के भंडार ने उगला धन, खजाने ने तोड़े सभी रिकॉर्ड

सांवलिया सेठ के भंडार ने उगला धन, खजाने ने तोड़े सभी रिकॉर्ड
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चित्तौड़गढ़: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित मेवाड़ के सुप्रसिद्ध कृष्णधाम सांवलियाजी मंदिर में भगवान श्री सांवलिया सेठ के भंडार से प्राप्त राशि की गणना पूरी हो गई है। यह प्रक्रिया पांच चरणों में संपन्न हुई, जिसमें कुल 25 करोड़ 47 लाख 74 हजार 500 रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ। हालांकि, सिक्कों की गणना अभी जारी है, जिसे अगले चरण में पूरा किया जाएगा।

भंडार खोलने का अवसर और प्रक्रिया
यह भंडार गत कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आयोजित दो दिवसीय मासिक मेले के पहले दिन खोला गया था। हर महीने इस मेले में बड़े आंकड़े में श्रद्धालु आते हैं तथा अपनी श्रद्धा के प्रतीक स्वरूप दान अर्पित करते हैं। ठाकुरजी के भंडार को खोलने के बाद दान की गणना आरम्भ की गई, जिसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया गया। गणना के अंतिम चरण में 3 करोड़ 51 लाख 29 हजार 500 रुपये की राशि प्राप्त हुई। इसके अतिरिक्त, भंडार से प्राप्त सोने और चांदी का वजन अभी तक नहीं किया गया है। मंदिर मंडल के अनुसार, भंडार में नगद राशि, सिक्के, मनीऑर्डर, सोने-चांदी के आभूषण और अन्य भेंट स्वरूप सामग्री जमा होती है, जिनकी अलग-अलग गणना की जाती है।

प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा
गणना के चलते मंदिर मंडल और प्रशासन ने सुरक्षा एवं पारदर्शिता का विशेष ध्यान रखा। इस प्रक्रिया की निगरानी सांवलियाजी मंदिर मंडल बोर्ड के अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर और अन्य सदस्यों ने की। प्रमुख अधिकारियों में बोर्ड के सदस्य संजय कुमार मंडोवरा, ममतेश शर्मा, अशोक कुमार शर्मा और भैरूलाल सोनी, नायब तहसीलदार शिवशंकर पारीक, प्रशासनिक अधिकारी द्वितीय नंदकिशोर टेलर, मंदिर व्यवस्था प्रभारी राजेंद्र शर्मा, और संपदा व सुरक्षा प्रभारी भैरवगिरि गोस्वामी शामिल थे। इनके साथ ही क्षेत्रीय बैंकों के कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

गणना के चलते श्रद्धालुओं द्वारा भेंट किए गए धन को बड़ी सावधानी और पारदर्शिता से गिना गया। नगद और मनीऑर्डर के जरिए प्राप्त दान की गणना की गई। इसके अतिरिक्त, सिक्कों की गणना और सोने-चांदी के आभूषणों का वजन करना अभी बाकी है। बृहस्पतिवार को संपन्न पांचवें चरण की गणना के बाद भी सिक्कों की पूरी गिनती नहीं हो सकी। प्रशासन ने फैसला लिया है कि छठे चरण में शुक्रवार को सिक्कों की गणना पूरी की जाएगी।

सांवलियाजी मंदिर में दान के रूप में प्राप्त होने वाली राशि का इस्तेमाल धार्मिक गतिविधियों, मंदिर के रखरखाव और सामाजिक सेवा कार्यों के लिए किया जाता है। भक्तजन इस मंदिर को श्रीकृष्ण का धाम मानकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं। हर महीने यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार चढ़ावा चढ़ाते हैं।

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