जालंधर :1971और 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान द्वारा बंदी बनाए गए भारतीय सैनिकों की रिहाई के लिए सरकार गंभीर नहीं है. यह कहना है मिसिंग डिफेंस पर्सनेल रिलेटिव्स एसोसिएशन का. इस बारे में शनिवार को यहां सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने बताया कि उनकी रिहाई की मांग लेकर वे जल्द ही सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे.
बता दें कि इस बारे में दलबीर कौर ने कहा कि सरकार को अपने सैनिकों का दुख दिखाई नहीं दे रहा. यदि उनकी जल्द घर वापसी नहीं हुई तो शायद हम कभी उनका मुंह भी नहीं देख पाएंगे. बता दें कि पाकिस्तान की जेलों से लौटकर आए कई बंदियों ने कहा कि लगभग 200 परिवार ऐसे हैं जिनके अपने आज भी पाकिस्तानी जेलों में कैद होकर अपनी जिंदगी के शेष दिन रिहाई की आस में काट रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि फरीदकोट के अमरीक सिंह ने बताया कि उनके पिता 1971 की लड़ाई में गुम हो गए थे. फौज ने उन्हें मृत बता दिया था, लेकिन 2013 में पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से छूट कर आए लखू राम ने बताया कि उनके पिता उसी जेल में बंद हैं.मानसा के दिलेर सिंह वाला गांव के अमरीक सिंह के चाचा भी 1965 के युद्ध के बाद से घर नहीं लौटे.2004 में परिवार को सूचना मिली कि वह पाकिस्तानी जेल में कैद हैं. इसी तरह अर्शिंदर पाल सिंह (46) मां के पेट में थे जब लड़ाई लड़ी .होश आया तो पता चला कि पिता जंग में शहीद हो गए लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली. 2014 में पाकिस्तानी जेल से छूटकर आए सुरजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता जिंदा हैं और पाकिस्तानी जेल में कैद हैं.ऐसे कई मामले हैं जिसमे भारतीय युद्ध सैनिक पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं.
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