नई दिल्ली : आजकल सोशल मीडिया पर एक एप्लीकेशन बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. इस एप्लीकेशन का नाम है सराहा. गूगल प्ले स्टोर से पर लाखो की संख्या में लोग सराहा एप्लीकेशन को डाउनलोड कर रहे है, यह एक फीडबैक एप्लीकेशन है जिसके जरिये आप किसी भी शख्स को कोई भी संदेश भेज सकते है. मेसेज भेजने पर सामने वाले व्यक्ति को न तो आपकी पहचान का पता चलेगा और वो न ही आपको रिप्लाई कर सकता है.
अब आपको बताते है कि इस एप्लीकेशन बनाने वाले शख्स के बारे में. दरअसल सराहा एप्लीकेशन को भारतीय IIT कंपनी विप्रो में काम करने वाले जैन-अल आबेदीन तौफीक ने बनाया है. अल आबेदीन तौफीक सऊदी के रहने वाले है और उन्होंने पहली बार किसी IIT कंपनी में काम किया है. विप्रो में काम करने के दौरान उन्होंने प्रोग्रामिंग सीखी है.
कंपनी में काम करने के दौरान आया आईडिया :
सराहा के फाउंडर जैन-अल आबेदीन ने बताया कि ग्रेजुएशन के उन्होंने विप्रो ज्वाइन की थी. काम करने के दौरान उन्होंने महसूस किया कि ऑफिस में कंस्ट्रक्टिव फीडबैक यानी तर्कसाध्य फीडबैक की जरूरत है. एक ऐसा प्लेटफॉर्म चाहिए था जिसकी मदद से फीडबैक देने वाले व्यक्ति की पहचान का पता न चले. इसके बाद सराहा को तैयार करने की शुरुआत हुई. सराहा लॉन्च करने से पहले मैने सोचा कि इसे सिर्फ ऑफिस के लिए नहीं बल्कि फ्रेंड्स और फैमिली के लिए भी उपयोग किया जाना चाहिए जिससे सभी को ईमानदारी से फीडबैक मिलता रहे.
भारत में हो रहा पॉपुलर :
गौरतलब है कि सराहा भारत में बहुत तेजी से पॉपुलर हो रहा है लोग इस डाउनलोड करके मेसेज भेज रहे है. इस बारे में जैन-अल आबेदीन ने कहा कि मुझे गर्व है कि सराहा को भारत में पसंद किया जा रहा है. ये हमारे लिए खुशी की बात है. मैंने सिर्फ एक बार ही किसी कंपनी में काम किया है और वो भारतीय आईटी कंपनी विप्रो है. भारतीय ने मुझे युनिवर्सिटी प्रोग्रामिंग पढ़ाया, भारत के इंजीनियर्स ने कंपनी ने मुझे प्रोग्रामिंग पढ़ाया और मेरे कई भारतीय कलीग और दोस्त हैं.
व्हाट्सऐप से अलग है सराहा :
सराह जिस तरह से पॉपुलर हो रहा है उसे देखकर लोग इसकी व्हाट्सऐप से तुलना करने लगे है. इस बारे में बात करते हुए जैन-अल आबेदीन ने कहा कि व्हाट्सऐप और सराहा दोनों काफी अलग हैं. वो मैसेजिंग टूल है और यह कंस्ट्रकटिव फीडबैक का ऐप है. हमारा मुकाबला व्हाट्सऐप और दूसरे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से है ही नहीं. हम काफी अलग हैं और यही हमारी खासियत है.