
रांची: झारखंड के रांची स्थित राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) में सरस्वती पूजा के आयोजन पर अचानक रोक लगाए जाने से विवाद खड़ा हो गया। दशकों से चली आ रही इस परंपरा को इस बार रोकने का आदेश RIMS प्रशासन ने दिया, जिसके पीछे कानून-व्यवस्था का हवाला दिया गया। हालाँकि, यह फैसला झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी की साम्प्रदायिक सोच का नतीजा बताया जा रहा है। मंत्री पर आरोप है कि उनके इशारे पर इस आयोजन पर रोक लगाई गई। भारी विरोध के बाद प्रशासन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
"जब लड़ाई अस्तित्व की हो ,तो लड़ना धर्म बन जाता है !!"
— Dr Vikaas (@drvikas1111) January 26, 2025
रिम्स प्रबंधन ने फैसला लिया है कि रिम्स में सरस्वती पूजा नहीं मनाई जाएगी और हवाला उसी घटना का दिया है जो रिम्स परिसर में हुई ही नहीं है I
ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ है। यह पूजा नहीं हमारा अस्तित्व है I
????आज सरस्वती पूजा… pic.twitter.com/EX78zUt6Ms
RIMS में हर साल सरस्वती पूजा का आयोजन MBBS के दूसरे वर्ष के छात्र करते हैं। इस साल भी छात्रों ने लाखों रुपए का चंदा इकट्ठा करके पूजा के लिए सारे इंतजाम कर लिए थे। 70% से ज्यादा तैयारियाँ पूरी हो चुकी थीं। कई वेंडरों को एडवांस में भुगतान भी किया जा चुका था। लेकिन शुक्रवार, 24 जनवरी 2025 को एक मारपीट की घटना के बहाने RIMS की डीन डॉ. शशिबाला सिंह ने शनिवार को अचानक सरस्वती पूजा पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। छात्रों को चंदे का पैसा लौटाने और तैयारियाँ रोकने का निर्देश दिया गया।
इस फैसले से छात्र आक्रोशित हो गए। छात्रों ने इसे परंपराओं पर सीधा हमला बताया और विरोध शुरू कर दिया। RIMS के न्यूरो सर्जन डॉ. विकास कुमार ने भी इस रोक का विरोध किया और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “लगता है RIMS प्रशासन अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए इस देश की सांस्कृतिक परंपराओं पर आघात कर रहा है। यह हर दृष्टि से निंदनीय है।” सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से तूल पकड़ने लगा। भाजपा ने इसे सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हुए झारखंड सरकार पर हमला बोला। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि मंत्री इरफ़ान अंसारी की सांप्रदायिक सोच के कारण सरस्वती पूजा पर रोक लगाई गई। उन्होंने इसे धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला फैसला करार दिया।
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि @IrfanAnsariMLA जैसे लोगों को रिम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी सांप्रदायिक विचारधारा और फैसले सांस्कृतिक और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा दे रहे हैं। ताजा मामला सरस्वती पूजा को लेकर उठाए गए सवालों का है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) January 26, 2025
सरस्वती पूजा कोई साधारण… https://t.co/ob3HTJRKS3
दूसरी तरफ, स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह रोक कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए लगाई गई थी। उन्होंने कहा कि छात्रों को हॉस्टल में पूजा करने की अनुमति दी गई है। हालाँकि, सोशल मीडिया और छात्रों के विरोध के दबाव के चलते RIMS प्रशासन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। डॉ. विकास कुमार ने रविवार को जानकारी दी कि RIMS प्रशासन ने सरस्वती पूजा के आयोजन की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा, “सरस्वती पूजा की परमिशन मिल गई है। प्रबंधन ने अपनी रोक को वापस ले लिया है। इससे छात्रों में खुशी की लहर है।”
यह मामला धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं से जुड़ा होने के कारण बड़ा विवाद बन गया। कुछ लोग इसे छात्रों की परंपराओं पर हमला मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे प्रशासनिक विफलता और राजनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम बता रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब झारखंड में धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दे चर्चा में आए हैं। इससे पहले, 2022 में रांची दंगों के दौरान इरफ़ान अंसारी ने फायरिंग में मारे गए दो मुस्लिमों को शहीद का दर्जा देने और उनके परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा व सरकारी नौकरी देने की माँग की थी।
सरस्वती पूजा पर प्रतिबंध और बाद में उसकी अनुमति देना सरकार की नीति और प्रशासनिक फैसलों पर सवाल खड़े करता है। यह दिखाता है कि राजनीतिक दबाव और सांप्रदायिकता के आरोप किस तरह से सांस्कृतिक आयोजनों को भी प्रभावित करते हैं।