नई दिल्ली. लौह पुरुष के नाम से याद किये जाने वाले स्वतंत्रता सैनानी और आजाद भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 143वीं जयंती है. उनका जन्म सन1875 आज ही के दिन यानी 31 अक्टूबर को गुजरात के नाडियाड में हुआ था. उनकी जयंती के इस अवसर पर आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी एक विशालकाय प्रतिमा का अनावरण भी किया जाएगा. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से मशहूर उनकी यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. इस प्रतिमा की उचाई 182 मीटर है.
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लेकिन क्या आप जानते है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल देश की आजादी को लेकर इतने संकल्पित थे कि उन्होंने इसके लिए अपनी अच्छी खासी कमाई वाली वकालत की नौकरी छोड़ दी थी. जी हाँ, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने उस दौर में वकालत छोड़ी थी जब देश में बहुत काम वकील हुआ करते थे और इस वजह से उन्हें उस वक्त के हिसाब से एक केस लड़ने के बदले में भी अच्छी खासी रकम मिलती थी. लेकिन सरदार वल्लभ भाई पटेल को जब देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने का मौका मिला तो उन्होंने बिना कुछ सोचे ही अपनी वकालत छोड़ के अपना जीवन देश के नाम कर दिया.
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दरअसल गुजरात के एक साधारण परिवार में जन्मे वल्लभ भाई पटेल ने जुलाई 1910 में इंग्लैंड के मिडल टेम्पल में लॉ कॉलेज में दखिला लिया था जहाँ से उन्होंने अपनी लगन और एकाग्रता की वजह से आधी समयावधि में ही अपना कोर्स पूरा कर लिया था. इसके बाद उन्होंने देश वापस आकर वकालत करनी शुरू कर दी. इसके बाद वे 1917 में पहली बार गाँधी जी से सीधे संपर्क में आये और यहाँ वे महात्मा गांधी के विचारों से इस कदर प्रेरित हो गए कि उन्होंने वकालत छोड़ कर भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया.
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