विकास के दावे करती एनडीए सरकार और उसके प्रधानमंत्री आदरणीय सम्मानीय नरेंद्र मोदी जी कुछ ही दिनों पहले अपने 4 साल के न जाने कौन से विकास का जश्न मना कर विदेश लौट गए. मोदी के इन विकास कार्यों की चर्चा चारों तरफ गूंज रही थी लेकिन इनकी जमीनी हकीकत जानकार दिमाग कंफ्यूज होता कि हँसू या रोऊँ.
इधर विकास, उधर विकास, ये वाला विकास, वो वाला विकास, अब तो शायद तक ही गए है हम विकास सुन कर लेकिन शायद देश का आम आदमी अब जान चूका है कि चुनाव जीतने के लिए मोदी जी ने जो वादें किए थे वो शायद सड़कों पर लगे हुए बड़े-बड़े बोर्ड्स पर ही है या फेसबुक पर कुछ लोगों की वाल पर. झारखंड में हाल ही में एक महिला, घर में 3 दिन चूल्हा नहीं जला पाने के कारण भूख मर गई लेकिन देश की सरकार विज्ञापनों में पैसा उड़ा रही है जो शर्मनाक है.
ये जो दायी तरफ आपको बड़ी बड़ी आसमान छूती बिल्डिंगे दिख रही है ये बता रही है कि मोदी सरकार ने मई 2014 में सत्तारूढ़ होने के बाद से अपनी छवि बनाने के लिए विज्ञापनों पर 4,343 करोड़ रूपए खर्च किए हैं इस आंकड़े को आप ध्यान से देखेंगे तो आप पाएंगे कि पिछले 4 सालों में यूपीए के काल से लगभग दुगुना पैसा खर्च हुआ है और 2018 - 19 तो चुनावी साल है, दिन ब दिन न्यूज़ चैनलों और प्रतिष्ठित अखबारों में सरकार की झूठी उपलब्धियों के विज्ञापन बढ़ते ही जा रहे हैं साफ दिख रहा है कि 2018- 19 में ये फिगर एम्पायर स्टेट बिल्डिंग को भी मात करने वाला है. शायद अब आप समझ पाए कि आपको रिझाने के लिए सैनिकों की वर्दी खरीदने के पैसे से मीडिया को खरीदा जा रहा हैं,