महाराणा प्रताप जयंती क्यों?

महाराणा प्रताप जयंती क्यों?
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ईद के मौके पर देश भर में अजीबो-गरीब चीज देखने को मिली. देश के महान वीर योद्धा और स्वाभिमानी महाराणा प्रताप की जयंती का हवाला देकर देश भर में कई जगह जुलुस निकाले गए. इस बारे में जब हमने गूगल और इतिहास के एक दो पन्नों को पलटकर देखा तो पाया कि महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई को मनाई जाती है, वहीं अगर बात करे महाराणा प्रताप के सबसे बड़े युद्ध हल्दी घाटी की तो उसकी तारीख भी इतिहास के पन्नो पर 21 जून 1576 दर्ज है.

अब सवाल यह उठता है कि 16 जून को ईद के मौके पर एक तबके ने महाराणा प्रताप के नाम से कई रैलियां की, वहीं शाजापुर में निकाली गई रैली में हिंसा भी देखने को मिली जिसमें दो समुदाय के लोग किसी बात को लेकर आपस में भीड़ गए. हम उस बारे में बात नहीं करेंगे कि शाजापुर में हिंसा किस वजह से हुई लेकिन देश में अब इतिहास के साथ छेड़छाड़ का एक दौर देखने को मिल रहा है, जो देश के आने वाले भविष्य के लिए बड़ा खतरा है. . एक सवाल यह भी है कि जो बच्चे इन जुलुस में शामिल होंगे क्या वो महाराण प्रताप की जयंती के रूप में 16 जून की तारीख का प्रचार नहीं करेंगे? क्या वो हकीकत जानते है कि महाराण प्रताप का जन्म 16 जून को नहीं बल्कि 9 मई  को हुआ था. 

देश के महान योद्धा जिनको पुरे देश भर में एक समाज ही नहीं बल्कि सभी लोगों के द्वारा पूजा जाता है, उस योद्धा के नाम से कुछ राजनीतिक ताकतें बेवजह कुछ भी आयोजित कर देती है. वहीं ईद के मौके पर सोशल मीडिया पर एक ऐसा ट्रेंड देखने को मिला जिसका न हाथ है न पैर. सोशल मीडिया पर कुछ पढ़े लिखें बुद्धिजीवियों ने लोगों से व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर राम के नाम का स्टेटस रखने की अपील की थी जिसके बाद कई युवाओं ने इस बात को मानकर ऐसा किया भी. 

आपत्ति यहाँ पर राम के नाम से नहीं है. देश में राम के नाम को कई लोग आस्था के साथ पूजते है, राम के नाम के साथ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है, लोग बड़ी श्रद्धा से राम को मानते है फिर क्यों कुछ लोग राम के नाम पर एक विशेष दिन पर ही प्रोपेगेंडा फैलाना चाह रहे थे. क्या इन लोगों को सिर्फ ईद पर या किसी विशेष दिन ही राम की याद आती है. बाकी युवा अपनी खुद की विचारधारा को परे रखकर जिस प्रकार से धर्म और मज़हब के नाम से हिंसा को बढ़ावा दे रहा है वो आने समय में देश के लिए काफी घातक होने वाला है, भला ऐसी कौन सी विचारधारा काम करती है जो युवाओं को बरगलाने का काम करती है और फिर खुद पीछे छुपकर तमाशा देखती है और पिसता है युवा. 

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अरे ओ साहब, थोड़ा सुन भी लीजिए....

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