Satire: धर्म की रूढ़िवादी सोच को "ना"

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आज सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में लड़कियों की खतना को लेकर चल रही सुनवाई में एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी भी लड़की के प्राइवेट पार्ट को धर्म से कैसे जोड़ा जा सकता है? आपको बता दें, बोहरा समाज में लड़कियों को लेकर ठीक वैसी ही मान्यता है जैसी कि लड़कों में खतना को लेकर है. इस प्रथा में लड़की के प्राइवेट पार्ट का एक छोटा हिस्सा काटा है. 

धर्म के इन ठेकेदारों ने कभी सोचा है क्या, जो यह धार्मिक मान्यता का हवाला देकर मासूम बच्चियों को एक असहनीय दर्द देते है. एक ऐसा दर्द जहाँ ये मासूम सी बच्चियां सिवाय चीखने के कुछ नहीं कर पाती है. अफसोस इंसानियत के खिलाफ होने वाली ऐसी प्रथाएं जहाँ पर मासूम सी बच्चियां इनका शिकार बने बिलकुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है. वहीं आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे है, जहाँ पर कुछ विकसित देश इस तरह की तमाम प्रथाओं पर पाबंदी लगाकार लोगों को रूढ़िवादिता से बाहर लाने का प्रयास कर रहे है, वहीं हम आज भी इन चीजों में उलझे हुए है.  

कहा जाता है कि धर्म और मज़हब जीने के तरीके सिखाते है साथ ही शांति के उस मार्ग पर भी पहुंचाते है जहाँ पर इंसान सुकून से अपना जीता है, इन बातों में कोई शक नहीं है. लेकिन दूसरी इस बात को भी हम नकार नहीं सकते है कि हमारे देश में कई ऐसी प्रथाएं आज भी चल रही है, जिन प्रथाओं में इंसानों की जिंदगी की साथ खिलवाड़ कर जानवरों जैसे सुलूक किया जाता है. यही कारण है कि आए दिन सैकड़ों लोग इन प्रथाओं के कारण अपनी जान तक दे देते है. 

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