सत्यजीत रे, भारतीय फिल्मों में एक ऐसा नाम जिसने अपने रचनात्मक काम से न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व स्तर पर एक ऐसा मुकाम पाया है जो भारत में शायद ही किसी को हासिल हुआ हो, पाथेर पांचाली फिल्म से अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत करने वाले सत्यजीत रे ने डॉक्यूमेंट्री और छोटी-बड़ी फ़िल्में मिलाकर कुछ 36 फ़िल्में बनाई है. आंगतुक उनके करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई.
फिल्म मेकिंग में सत्यजीत रे बतौर निर्देशन के साथ-साथ, एक जाने माने ग्राफ़िक डिज़ाइनर थे, साथ ही उन्होंने बतौर लेखक, स्क्रीन राइटर, ग्राफ़िक डिज़ाइनर, एडिटर, और कई तरह के काम किये है. सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा में उस शख्स का नाम है जिसने खुद के दम पर कई फिल्मों का निर्माण किया, साथ ही अन्तराष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड्स भी हासिल किये है.
सत्यजीत रे दूसरे ऐसे फिल्म निर्माता थे जिन्हें ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने मानद उपाधि से नवाजा था. साथ ही उनकी फिल्मों को बर्लिंग फिल्म फेस्टिवल, कांस फिल्म फेस्टिवल से भी अवार्ड मिल चुके है. इसके साथ ही उन्हें 32 बार नेशनल अवार्ड्स भी मिल चुके है. अपनी फिल्मों से समाज पर एक गहरा प्रभाव छोड़ने वाले सत्यजीत रे भारत के लिए एक कोहिनूर का हीरा था जिसने फिल्म मेकिंग को जीया है और उसे लोगों तक पहुंचाया है. 2 मई 1921 को जन्में सत्यजीत रे आज ही के दिन 1992 को इस दुनिया से विदा होकर चले गए.
कैसे 93 मिनट ने बदल दी सत्यजीत रे की ज़िंदगी...