अबुधाबी: अपनी रूढ़िवादी सोच के लिए पहचाने जाने वाले इस्लामी मुल्क सऊदी अरब ने देश में पारंपरिक रूप से पहने जाने वाले अबाया को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह फैसला इसलिए भी बेहद अहम है, क्योंकि भारत में इसको लेकर ही काफी बवाल मच चुका है। दरअसल, सऊदी अरब सरकार ने परीक्षा हाल में लड़कियों के अबाया पहनने पर बैन लगा दिया है। बता दें कि अबाया एक किस्म का बुर्का होता है, जिसमें महिलाओं-लड़कियों का पूरा शरीर ढका हुआ रहता है। अबाया सऊदी अरब की महिलाओं का पारंपरिक लिबास है।
सऊदी एजुकेशन और ट्रेनिंग इवोल्यूशन कमीशन (ETEC) ने ऐलान किया है कि परीक्षा के दौरान लड़कियों को परीक्षा हाल में अबाया पहनने की इजाजत नहीं होगी। ETEC ने जोर देते हुए कहा है कि छात्राओं को परीक्षा में बैठने के दौरान स्कूल यूनिफॉर्म के नियमों का पालन करना होगा। ETEC ने कहा है कि स्कूल यूनिफॉर्म सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के मुताबिक ही होना चाहिए, इसके साथ ही ये ड्रेस सार्वजनिक मर्यादा के अनुकूल भी होने चाहिए। बता दें कि ETEC को पहले शिक्षा मूल्यांकन प्राधिकरण के तौर पर जाना जाता था। यह सऊदी अरब का एक सरकारी संगठन है जो शिक्षा मंत्रालय के तालमेल में सऊदी अरब में शैक्षिक और ट्रेनिंग सिस्टम की योजना तैयार करने, मूल्यांकन और उन्हें मान्यता देने के लिए जिम्मेदार है। ETEC कानूनी और आर्थिक तौर पर स्वतंत्र है और सीधे पीएम को रिपोर्ट करता है।
भारत में हिजाब विवाद:-
बता दें कि, भारत में जब कर्नाटक के एक कॉलेज में कक्षा के अंदर हिजाब पहनने को लेकर मना किया गया था, तो जमकर बवाल मचा था। कई मुस्लिम लड़कियों ने परीक्षा ही छोड़ दी थी। वे हिजाब पहनकर ही परीक्षा देने की मांग कर रहीं थी। इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी, कोर्ट ने कहा था कि, हिजाब इस्लाम का जरुरी हिस्सा नहीं है। इसमें कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने जोरशोर से हिजाब का समर्थन किया था, लेकिन किसी ने भी परीक्षाएं छोड़ रहीं लड़कियों को समझाने और उन्हें अपनी शिक्षा पर ध्यान देने का कहने की कोशिश नहीं की। उनकी तरफ से कहा गया कि, मुस्लिम होने के नाते हिजाब उनके लिए अनिवार्य है. पहले हिजाब फिर पढ़ाई, जैसे नारे भी लगाए गए। यहाँ तक कि, आतंकी संगठन अल कायदा के सरगना अल जवाहिरी ने भी मुस्लिम लड़कियों की इस मांग पर उनका समर्थन किया था।
इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलील बदलते हुए इसे लड़कियों की चॉइस का मामला बताया था, लेकिन उन्हें कहा गया कि, स्कूल-कॉलेज में चॉइस नहीं, ड्रेस कोड यूनिफार्म का पालन किया जाता हैं, ताकि सभी विद्यार्थी एक समान दिखें। लेकिन, मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हुआ था और सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। हालांकि, काफी सुनवाइयों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी कक्षा में हिजाब पहनने को गलत बताया था और यूनिफार्म पहनने की बात कही थी। हालांकि, बवाल इसके बाद भी नहीं थमा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी बड़ी बेंच में चुनौती दी गई, जो अभी लंबित है। हिजाब के इस विवाद के दौरान कुछ गैर-मुस्लिमों की हत्या तक कर दी गई थी, जिन्होंने हिजाब को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट भर किया था। इसी बीच ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए और वहां की मुस्लिम महिलाएं सड़कों पर हिजाब जलाने लगीं और कट्टरपंथी शासन से मुक्ति के लिए आंदोलन करने लगीं। ईरानी महिलाओं के हिजाब के प्रति इस रवैये को देखते हुए भारत में यह मामला फिलहाल ठन्डे बस्ते में चला गया है।
पीएम मोदी के मित्र फिर बनने जा रहे इजरायल के प्रधानमंत्री, अरब देशों में मची खलबली
रूस से युद्ध के बीच अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की, बाइडेन बोले- यूक्रेन अकेला नहीं पड़ेगा, साथ है US
आज ही के दिन हुआ था सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का जन्म, जानिए आज का इतिहास