नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर के खिलाफ आपत्तिजनक टिपण्णी करने के मामले में कोर्ट से जमानत मिल गई है . यूनाइटेड किंगडम में दिए गए भाषण में आपत्तिजनक बयान देने के कारण थि उनके खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई पुणे की एक विशेष अदालत में हुई . राहुल इस सुनवाई में वर्चुअली पेश हुए थे, जिसके बाद अदालत ने उन्हें मामले में जमानत दे दी।
विशेष एमपी/एमएलए न्यायाधीश अमोल शिंदे ने राहुल गांधी पर सावरकर के खिलाफ कोई भाषण देने या टिप्पणी करने पर 'स्थायी निषेधाज्ञा' लगाने से भी इनकार कर दिया। घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए राहुल के वकील मिलिंद पवार ने बताया कि, "पहले के आदेश के अनुसार, मेरे मुवक्किल को शुक्रवार को अदालत में पेश होना था, लेकिन मैंने अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया कि मेरे मुवक्किल संसद में विपक्ष के नेता (LoP) हैं और इस प्रकार उनकी सुरक्षा कड़ी है और इसलिए व्यक्तिगत रूप से यहां आना संभव नहीं होगा। मैंने अपने क्लाइंट को वर्चुअल रूप से पेश होने की अनुमति मांगी और अदालत ने सहमति व्यक्त की। इसके बाद वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से पेश हुए और 20 मिनट से अधिक समय तक अदालत में रहे।"
इसके बाद वकील ने जमानत याचिका दायर की जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। पवार ने बताया, "अदालत ने मेरे मुवक्किल को 25,000 रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। पूर्व विधायक मोहन जोशी ने श्री गांधी की जमानत ली।" इसके अलावा, अदालत ने पवार द्वारा राहुल को अदालत में पेश होने से स्थायी छूट देने के लिए दायर आवेदन को भी स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि राहुल अब व्यक्तिगत रूप से अदालत में केवल उसी समय पेश होंगे, जब अदालत मामले में अपना फैसला सुनाएगी।
राहुल गांधी के वकील के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने आवेदन प्रस्तुत किए थे - एक आवेदन न्यायालय की अवमानना के लिए था (क्योंकि राहुल स्पष्ट आदेश के बावजूद न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए थे), दूसरा आवेदन गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए था - हालाँकि, दोनों ही आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया। पवार ने कहा, "मेरे क्लाइंट के खिलाफ सावरकर पर कोई भी टिप्पणी करने पर स्थायी रोक लगाने के लिए विपक्षी वकील के मौखिक अनुरोध को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला देते हुए अदालत ने खारिज कर दिया है।"
बता दें कि, मानहानि की शिकायत में यह दावा किया गया है कि राहुल गांधी ने पिछले कुछ सालों में कई मौकों पर सावरकर को बदनाम किया है। एक खास घटना 5 मार्च, 2023 को हुई थी, जब राहुल ने यूनाइटेड किंगडम में ओवरसीज कांग्रेस को संबोधित किया था। शिकायतकर्ता ने कोर्ट को बताया है कि राहुल ने सावरकर के खिलाफ जानबूझकर बेबुनियाद आरोप लगाए, जबकि वे जानते थे कि ये आरोप झूठे हैं, उनका उद्देश्य सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना और शिकायतकर्ता और उनके परिवार को मानसिक पीड़ा पहुंचाना था।
शिकायत में आगे कहा गया है कि अपमानजनक भाषण इंग्लैंड में दिया गया था, लेकिन इसका असर पुणे में महसूस किया गया क्योंकि इसे पूरे भारत में प्रकाशित और प्रसारित किया गया था। फरियादी ने अपनी शिकायत में कई समाचार रिपोर्ट और लंदन में राहुल के भाषण के एक वीडियो का यूट्यूब लिंक सबूत के तौर पर पेश किया है। उस बयान में राहुल ने कहा था कि ''हिंदुत्व आइकॉन सावरकर ने एक किताब में लिखा था कि उन्होंने और उनके पाँच-छह दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी, इससे उन्हें (सावरकर को) खुशी महसूस हुई थी।''
उन्होंने दावा किया है किराहुल गांधी ने सावरकर पर एक किताब लिखने का झूठा आरोप लगाया जिसमें उन्होंने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई का वर्णन किया है, जिसे सावरकर ने कभी नहीं लिखा और ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई। सत्यकी ने तर्क दिया कि कांग्रेस नेता ने सावरकर को बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के खास उद्देश्य से ये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और बेबुनियाद आरोप लगाए। सत्याकी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि आवेदन में आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत गांधी के लिए अधिकतम सजा की मांग की गई है और सीआरपीसी की धारा 357 (मुआवजा देने का आदेश) के अनुसार अधिकतम मुआवजा लगाने की मांग की गई है।