सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है और सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। इस दौरान भगवान शिव के मनपसंद की चीजों का भोग लगाया जाता है।
इस दौरान दीपक, तेल या घी, फूल, चंदन का पेस्ट, सिंदूर, धूप, कपूर, विशेष व्यंजन, खीर, फल, पान के पत्ते और मेवा, नारियल पवित्र राख, ताजा दूध, दही, शहद, गुलाबजल, पंचामृत (शहद के साथ फल मिला हुआ), गन्ना का रस, निविदा नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल और अन्य सुगंधित पदार्थ से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।
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इसके अलावा भी भगवान शिव को सबसे प्रिय हैं बिल्वपत्र जिन्हे हर भक्त चढ़ाता है। ऐसा कहा गया है कि बिल्व के पत्ते भगवान शिव की जटा के समान हैं, उसका त्रिपत्र यानी 3 पत्ते ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद हैं। लेकिन आपको बता दें है कि बिल्वपत्र तोड़ने से पहले आपको कई सारी बातों का ध्यान रखना होता है।
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जी हाँ बिल्वपत्र को सोमवार, अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन भूलकर भी न तोड़े। हो सके तो आप पूजा करने के लिए इन्हें पहले ही तोड़कर रख लें। सोमवार के दिन बिल्वपत्र तोड़ना शुभ नहीं माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि स्वयं महालक्ष्मी ने शैल पर्वत पर बिल्ववृक्ष रूप में जन्म लिया था।
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