सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने में देवों के देव महादेव भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है। कहते हैं सावन का महीना शिवजी को अति प्रिय है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, सावन के महीने में इस बार मलमास पड़ रहा है। मलमास का योग बनने के कारण इस बार सावन 2 महीने का होगा। इस कारण सावन में इस बार 4 प्रदोष व्रत होंगे। पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई 2023, दिन शुक्रवार को है। वैसे तो वर्ष भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, किन्तु सावन माह में इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। सावन का महीना और त्रयोदशी तिथि दोनों ही महादेव को समर्पित है। ऐसे में सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि महादेव की पूजा के लिए बेहद खास मानी जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है तथा प्रदोष काल में शिव जी पूजा की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन के पहले प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व...
सावन शुक्र प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त:-
शिव पूजा समय - रात 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक
अवधि- 2 घंटे 2 मिनट
सावन शुक्र प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि :-
सावन प्रदोष व्रत के दिन प्रातः काल जल्दी उठें तथा स्नान आदि करके पूजा के लिए साफ वस्त्र पहन लें। फिर पूजा घर में दीपक जलाएं तथा व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव जी की पूजा एवं उपासना करें। फिर शाम के वक़्त प्रदोष काल में पूजा के चलते दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। महादेव को भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर चढ़ाएं। फिर महादेव की प्रतिमा के पास धूप-दीप जला कर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में महादेव की आरती करके पूजा समाप्त करें।
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