नई दिल्लीः देश में आर्थिक मंदी के कारण उद्योग-धंधे के हालत खराब हो चुके हैं। तमाम सर्वे देश की आर्थिक सेहत के बारे में नकारात्मक खबरें दे रहे हैं। मगर सरकार ऐसी किसी भी बात को मानने से इनकार कर रही है। इस कड़ी में देश की सबसे बड़ी बैंक एसबीआई ने सरकार को एक सुझाव दिया है। बैंक ने कहा कि नरम मौद्रिक रुख अपनाने की बजाय सरकार को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिये। बैंक ने अपने रिसर्च की रिपोर्ट में कहा कि अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए केवल नीतिगत दरों में कटौती से कुछ नहीं होगा।
इसके लिए सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ाने के लिए सरकार को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के माध्यम से आगे बढ़कर खर्च करना होगा। बैंक के अर्थशास्त्रियों ने आगाह किया है कि फिस्कल डेफिसिट को काबू में रखने के लिए खर्च में किसी तरह की कटौती वृद्धि की दृष्टि से ठीक नहीं होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा सुस्ती को केवल मौद्रिक नीति में होने वाले उपाय से ही हल नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को शुरू में ही मनरेगा और पीएम-किसान में व्यय बढ़ाकर मांग में कमी के सिलसिले को रोकना होगा। पीएम-किसान पोर्टल के मुताबिक, इस योजना के लाभार्थियों की संख्या अभी 6.89 करोड़ ही है, जबकि लक्ष्य 14.6 करोड़ का है। दरअसल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पैसा आने के बाद ही बाजारों में मांग बढ़ेगी।
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