नई दिल्ली: भारत में COVID-19 के बढ़ते केसों तथा कोरोना गाइडलाइंस की अनदेखी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भारत में कई स्थानों पर आए दिन ऐसा देखा जाता है कि कई लोग मास्क पहनने तथा सामाजिक दुरी संबंधी नियमों का पालन भी नहीं कर रहे हैं। 80 फीसदी व्यक्ति मास्क का उपयोग नहीं कर रहे। जो कर भी रहे हैं वो केवल जबड़े पर मास्क लटका कर घूम रहे हैं।
साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य तथा केंद्र सरकार को कोई चिंता ही नहीं है। सरकार की तरफ से केवल SOP बना दिए गए हैं। उसके पालन की फिक्र किसी को नहीं है। स्थिति बद से बदतर होते जा रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि COVID-19 की वजह से स्थिति बिगड़ते जा रही हैं। केंद्र तथा राज्य चिंतित ही नहीं लगते हैं। वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि COVID-19 वायरस को लेकर प्रदेशों को और कठोर होना पड़ेगा। भारत के 10 प्रदेशों में COVID-19 वायरस के 70 फीसदी मामले हैं।
वहीं, गुजरात के राजकोट शहर में एक कोरोना हॉस्पिटल में भीषण आग लग गई। सर्वोच्च न्यायालय ने राजकोट के अस्पताल में आग लगने से 6 व्यक्तियों की मौत पर संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि उच्च न्यायालय भी केस को देख रहा है। साथ ही केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हम पूरे भारत के हालात पर संज्ञान ले रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएं स्वीकार्य नहीं हैं।
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