गुजरात दंगों में अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाली तीस्ता को SC ने दी जमानत, कपिल सिब्बल थे वकील

गुजरात दंगों में अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाली तीस्ता को SC ने दी जमानत, कपिल सिब्बल थे वकील
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नई दिल्ली: गुजरात दंगे मामले में अरेस्ट की गईं तीस्ता सीतलवाड़ को सर्वोच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत दे दी है। अदालत ने कहा है कि उनकी नियमित जमानत पर उच्च न्यायालय फैसला दे सकता है, लेकिन फिलहाल के लिए उन्हें अग्रिम जमानत दी जाती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने इस मामले में केवल जमानत पर गौर किया है। मामले की योग्यता पर हमारी किसी भी टिप्पणी का कोई असर नहीं है। 

उल्लेखनीय है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने लोअर कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि हमने गुजरात राज्य और तीस्ता के वकीलों की दलीलों को सुना और यह जाना कि तीस्ता दो महीने से अधिक दिनों से जेल में हैं और हाईकोर्ट में याचिका पेंडिंग है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि गुजरात सरकार ने हमें बताया कि उच्च न्यायालय को ही केस सुनने दिया जाए। जहां पर राज्य सरकार को छह हफ़्तों का वक़्त जवाब के लिए दिया गया है।

SC ने कहा कि हम मामले कि योग्यता पर नहीं जा रहे हैं और मौजूदा स्थिति को देखते हुए तीस्ता सीतलवाड़ जमानत देते हैं, क्योंकि महिला दो माह से कैद में है। दूसरा यह कि 7 दिन जांच एजेंसी ने पूछताछ की है, जो पूरी हुई, ऐसे में याचिकाकर्ता को राहत मिलनी चाहिए। CJI यूयू ललित ने पूछा कि क्या गवाहों को तीस्ता सीतलवाड़ ने कभी परेशान किया या उनकी तरफ से कोई गवाहों पर कोई दबाव बनाया गया था।

इस पर एसजी मेहता ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत तो प्राप्त नहीं हुई। CJI ने सिब्बल से भी सवाल किया कि आपको इस पर कुछ कहना है। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या उस महिला से पूछताछ में कुछ मिला। कितने दिन पूछताछ की गई। इस पर SG ने बताया कि 7 दिन तक तीस्ता पर पूछताछ की गई। तीस्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि यह आरोप सियासत से प्रेरित है। 2002 में हुई घटना पर आज 2022 में इल्जाम लगाए जा रहे हैं। 

बता दें कि तीस्ता पर इल्जाम है कि उन्होंने गवाहों को भड़काया था और झूठे सबूत गढ़े थे। शीर्ष अदालत ने गुजरात के तत्कालीन CM (अब प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने की SIT रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगी रहीं। अदालत ने संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार की तरफ से झूठा हलफनामा दाखिल किए जाने का भी उल्लेख किया था।

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