नई दिल्ली: अब जनहित के नाम पर व्यर्थ की याचिका दाखिल करने वालों को सावधान हो जाना चाहिए,क्योंकि व्यर्थ की याचिकाएं दायर करने और कोर्ट का बहुमूल्य समय खराब वाले राजस्थान के एक ट्रस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने न केवल 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, बल्कि इस ट्रस्ट पर आजीवन जनहित याचिका दाखिल करने पर रोक लगा दी है.
बता दें कि इस ट्रस्ट ने पिछले 10 साल में जनहित के नाम पर देश की अलग-अलग अदालतों में 64 याचिकाएं दायर की थी. गौरतलब है कि चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सुराज इंडिया ट्रस्ट पर न केवल 25 लाख रुपये का जुर्माना किया , बल्कि भविष्य में ट्रस्ट और ट्रस्ट के चेयरमैन राजीव दहिया को जनहित याचिका दायर करने पर पाबंदी लगा दी है. यही नहीं पीठ ने चेयरमैन को अपने बदले किसी और नाम से भी याचिका दायर करने पर रोक लगा दी है.ट्रस्ट को एक महीने में जुर्माना की रकम अदा करने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि न्यायिक समय नष्ट करना गंभीर विषय है. गलत इरादे और किसी मसले को उठाने में अक्षम लोगों के कारण कोर्ट का समय नष्ट होता है. जिसकी वजह से बेहद महत्वपूर्ण मसले पर सुनवाई नहीं हो पाती. पीठ ने ट्रस्ट को इस आदेश की प्रति उन अदालतों को भी भेजने के लिए कहा है जहां-जहां उसे जनहित याचिकाएं दायर कर रखी है.
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