भोपाल: सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर जांच करने के लिए हामी भर दी है। जी दरअसल इसमें किसी सरकार को गिराने के मकसद से इस्तीफा देने वाले विधायकों यानी दलबदल करने वालों पर छह सालों तक चुनाव लड़ने और कोई भी सार्वजनिक पद लेने पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है। इस याचिका को लेकर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है सुप्रीम कोर्ट ने उनसे चार हफ्तों के अंदर जवाब मांगा है।
जी दरअसल कृषक जया ठाकुर ने अपने पति वकील वरुण ठाकुर के जरिये याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि दलबदल करने वाले विधायकों को मौजूदा कार्यकाल तक किसी भी पारिश्रमिक वाले पद को लेने से वंचित किया जाना चाहिए, ताकि वर्तमान सरकार को गिराने के लिए इस्तीफा देने की इस राजनीति को रोका जा सके। इसके अलावा याचिका में यह भी कह गया है कि भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची को दलबदल विरोधी कानून कहा जाता है। साल 1985 में लाए गए इस कानून के तहत सदन का कोई सदस्य जब अयोग्य हो जाता है, तो उसे उसी सदन जिसके लिए उसका कार्यकाल पांच साल था, के लिए दुबारा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
वहीं राजनीतिक पार्टियां संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधान को निरर्थक बनाने का प्रयास कर रही हैं। याचिकाकर्ता का कहना यह भी है कि 'अब देखने में आ रहा है कि दसवीं अनुसूची दलबदल करने वालों के लिए कोई बाधा नहीं रह गई है। राज्य की चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने के लिए विधायकों के इस्तीफा देने का रास्ता तेजी से बढ़ रहा है और दोषियों को अयोग्य भी नहीं ठहराया जा रहा है।'
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