सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर नोटिस जारी कर केंद्र को देश भर में क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 2010 और क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट रूल्स, 2012 के सभी प्रावधानों को लागू करने का निर्देश देने की मांग की। याचिका में दलील दी गई है कि करीब दो दशक पहले केंद्र द्वारा राष्ट्रीय नीति लक्ष्य के रूप में अपनाए गए क्लीनिकल प्रतिष्ठानों में मानकों का विनियमन अभी तक पूरे देश में प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है।
जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा दायर अपील में दावा किया गया है कि निजी स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल मरीजों का शोषण कर रहे हैं और समान प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। पीठ ने कहा, "प्रस्तावना कहती है कि अधिनियम पूरे देश में लागू है, है ना?" पारिख ने कहा कि कुछ राज्यों ने इसे अपनाया है, लेकिन अन्य राज्यों ने इसी तरह के कानून पारित किए हैं। पारिख ने कहा- "जब कोविड आया, तो यह वहां था। अधिनियम में स्पष्ट रूप से उन दरों का उल्लेख है जो रोगियों आदि से वसूल की जानी हैं।"
पीठ ने आगे कहा कि राज्यों के पास इन प्रतिष्ठानों के पंजीकरण और विनियमन के संबंध में कुछ तंत्र हैं। पारिख ने कहा कि अगर केंद्र के स्थायी वकील को नोटिस जारी किया जाता है तो इसका कार्यान्वयन संभव होगा। शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले में नोटिस जारी किया। सुनवाई को समाप्त करते हुए, मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, "हमें उम्मीद है कि सरकार जवाब देगी।
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