नई दिल्लीः पुलिस की जांच प्रक्रिया पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार कमजोर पुलिस जांच के कारण अपराधी कोर्ट से बरी हो जाते हैं। पुलिस उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत अदालत के सामने पेश नहीं कर पाती। यह मामला फिर सुर्खीयों में हैं। पहलू खान लिंचिंग मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर पुलिस की जांच और अदालह के सुनवाई पर संदेह प्रकट किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के जज धनंजय चंद्रचूड़़ ने एक कार्यक्रम में पहलू खान लिंचिंग मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर पूछे गए सवाल पर कहा कि ऐसे मामले जिनकी जांच अदालत की निगरानी में हुई है उनमें बेहतर परिणाम सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि हम यह लगातार देख रहे हैं एक जज के लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि उसके समक्ष जिस तरह से सबूत पेश किया जाता है उसी मुताबिक उसे निर्णय करना होता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया, ‘ऐसे मामलों में जहां उचित स्तर पर अदालतों से संपर्क किया गया और जांच की निगरानी संभव हो सकी, उनमें बेहतर परिणाम सामने आए हैं।’ उन्होंने कठुआ बलात्कार मामले का उदाहरण पेश किया जहां उच्चतम न्यायालय ने अनेक ऐसे कदम उठाए कि जांच प्रभावित नहीं हो।
हालांकि उन्होंने कहा कि कोर्ट की निगरानी में जांच के मामले सीमित होते हैं। वह ‘इमैजिनिंग फ्रीडम थ्रू आर्ट’ पर व्याख्यान दे रहे थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़़ ने बताया कि आजादी उन लोगों के खिलाफ जहर उगलने का जरिया बन गई है जो अलग तरह से सोचते-विचारते हैं, बोलते हैं, खाते हैं, पहनते हैं और अलग नजरिया रखते हैं। गौरतलब है कि पहलू खान के लिंचिंग के सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
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