मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) से आने वाली एक बड़ी खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अब मुंबई (Mumbai) में दुकानों पर मराठी बोर्ड (Marathi Signboard) लगाने पर रोक लगाने से साफ़ इनकार कर दिया है। जी हाँ, और इसके चलते अब मुंबई के दुकानदारों को अपनी दुकानों पर मराठी में बोर्ड लगाना ही पड़ रहा है। आप सभी को बता दें कि नगर निगम ने दुकानदारों को बीते 30 सितंबर तक बोर्ड लगाने के आदेश दिए थे। हालाँकि अब यह समय सीमा 3 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। जी हाँ और अब अगर दिए गए समय तक दुकानदार मराठी साइनबोर्ड नहीं लगाते तो उन पर प्रशासनिक कार्रवाई होगी।
दूसरी तरफ प्रशासन ने यह भी जानकारी दी है कि दुकानों पर मराठी बोर्ड नहीं लगाने पर अब नकद जुर्माना लगाया जाएगा और जुर्माना नहीं भरने पर कोर्ट के माध्यम से दोषी लोगों पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से मार्च में एक विधेयक पारित किया था जिसमें सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों को देवनागरी लिपि में साइनबोर्ड प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था। वहीं इस पर कार्रवाई करते हुए अब BMC ने गाइडलाइंस जारी कर 31 मई की डेडलाइन तय की थी, जिसका फुटकर एसोसिएशन ने भी पुरजोर विरोध किया थी। जी हाँ और इसके बाद कई व्यापार संघों के अनुरोध पर, समय सीमा 30 जून तक और फिर 30 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी।
लेकिन फिर 3 महीने के विस्तार के बाद भी, नागरिक अधिकारियों ने समीक्षा में पाया कि अब तक केवल 2।5 लाख दुकानों ने ही मराठी में साइनबोर्ड लगाए हैं। क्या कहता है कानून- जी दरअसल महाराष्ट्र शॉप्स एंड इस्टैब्लिशमेंट (रेगुलेशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विस) एक्ट 2017 में संशोधन के अनुसार, नियम उल्लंघन करने वालों पर उनकी दुकानों में कार्यरत प्रति व्यक्ति 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। जी हाँ और इसमें यह भी साफ़ कहा गया है कि मराठी भाषा में अक्षरों का फ़ॉन्ट आकार प्रमुख रूप से दिखाई देना चाहिए और साइनबोर्ड पर उपयोग की जाने वाली अन्य भाषाओं के फॉन्ट से यह बड़ा होना चाहिए।
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