नई दिल्ली : नौकरशाही द्वारा किसी भी रास्ते से सरकारी भुगतान को पाने की जुगत लगाने के पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन कर्नाटक सरकार के एक संदिग्ध आतंकी को कोर्ट के आदेश पर केरल ले जाने पर हुए 15 लाख के खर्च का बिल पेश किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को जोरदार फटकार लगाई .
दरअसल हुआ यूँ कि 2008 में बेंगलुरु सीरियल ब्लास्ट्स मामले के आरोपी मदनी को कोर्ट ने बीमार मां से मिलने और शादी में शामिल होने के साथ 13 दिनों के लिए केरल में रहने की अनुमति दे दी. कोर्ट का आदेश था कि इसका पूरा खर्च मदनी उठाए. लेकिन, कर्नाटक सरकार ने जीएसटी जोड़कर 14.8 लाख रुपये का बिल कोर्ट के सामने पेश कर दिया . बिल के अनुसार सरकार ने एस्कॉर्ट कर रहे एसीपी के लिए 2.6 लाख रुपए और बाकी की रकम एस्कॉर्ट टीम के 18 अन्य सदस्यों में बांटने के लिए मांगी गई.
बता दें कि जस्टिस एसए बोबडे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा आरोपी को एस्कॉर्ट करने के काम को उनकी ड्यूटी बताते हुए खर्च को मांगे जाने को गलत बताते हुए कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि क्या आप इसी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर काम करते हैं? चीजों को उलझाइए मत, हम राज्य से गंभीरता की अपेक्षा करते हैं. जिन अधिकारियों की ड्यूटी थी क्या वे एस्कॉर्ट में निगरानी करने केअलावाअन्य कोई विशेष कार्य कर रहे थे ? जबकि उन्हें वेतन और भत्ता भी मिलता है. याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मदनी को 2 से 14 जुलाई तक केरल में रहने का आदेश दिया था.
यह भी देखें
नोटा मामले में SC ने कांग्रेस को तत्काल राहत देने से किया इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने निजता की सुरक्षा को हारी हुई बाज़ी बताया