भोपाल: मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस को सत्ता में लौटाने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विधायकों का कमलनाथ मंत्रिमंडल में दबदबा दिखाई देगा। जानकारी के अनुसार बता दें कि राजपूत और अन्य पिछड़ा वर्ग मंत्रियों का कद भी लगभग अजा-जजा मंत्रियों के बराबर ही होगा। वहीं बता दें कि शिवराज मंत्रिमंडल में ओबीसी फैक्टर हावी था और इस वर्ग के लगभग एक दर्जन मंत्री कैबिनेट में थे।
सोनिया के किले अमेठी से शंखनाद करेंगे पीएम मोदी, दिखाएंगे 'मेक इन इंडिया' का दम
यहां बता दें कि कमलनाथ मंत्रिमंडल को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं। क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के मद्देनजर नवनिर्वाचित विधायकों ने अपने-अपने स्तर पर प्रयास तेज कर दिए हैं। निर्दलीय विधायकों को कांग्रेस विधायक दल से अलग रखते हुए मंत्रिमंडल में स्थान दिए जाने के संकेत हैं और उन्हें न किसी क्षेत्रीय संतुलन में जोड़ा जाएगा और न ही जातीय समीकरण के हिसाब से मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाएगा। बुरहानपुर के ठा. सुरेंद्र सिंह शेरा भैया और वारासिवनी के प्रदीप जायसवाल गुड्डा को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की पूरी संभावना है।
भाजपा को लगा बड़ा झटका, मंजू गुप्ता ने दिया इस्तीफा
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक दल में 30 अनुसूचित जनजाति और 17 अनुसूचित जाति वर्ग के विधायक चुनकर आए हैं। यह संख्या करीब 41 फीसदी है और इस संख्या बल का मंत्रिमंडल में भी प्रभाव दिखाई देने की संभावना दिखी है। इस बार मालवा-निमाड़ ने कांग्रेस को मजबूत किया है। यहां से कांग्रेस के 35 विधायक चुनकर पहुंचे, जबकि 2013 में यह संख्या मात्र नौ थी।
खबरें और भी
चुनावी रण में उतरा कर्ज में डूबा किसान, बिना प्रचार किए ही कर दी सबकी छुट्टी
तीन राज्यों में सत्ता गंवाने के बाद एक्शन मोड में आई भाजपा, 2019 के लिए तैयार किया रोडमैप