नई दिल्ली : कार्मिक मंत्रालय द्वारा जाति या निवास प्रमाण पत्र बनाने की जिम्मेदारी अब देश के स्कूलों को सौंपी गयी है. देश भर के अनुसूचित जाति और जनजाति छात्रों द्वारा प्रमाण पत्र न होने के कारण अक्सर छात्रवृत्ति मिलने में देरी होने की शिकायत की जाती है. जिसके बाद सरकार द्वारा यह फैसला किया गया है. जिसमे कक्षा पांचवी से आठवीं में पढ़ने के दौरान सभी विद्यार्थियों के प्रमाण पत्र स्कूल द्वारा बनाए जायेंगे.
अपने आदेश में मंत्रालय ने कहा है की, "प्रमाण पत्र के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य सभी एससी/एसटी और अन्य छात्रों के दस्तावेज लेकर उन्हें संबंधित अधिकारियों तक भेजेंगे. फिर राजस्व या राज्य सरकार के अन्य सक्षम अधिकारी दस्तावेजों का परीक्षण कर 30 से 60 दिन के अंदर प्रमाण पत्र जारी करेंगे."
जिन प्रदेशों में प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से सिटीजन सर्विस सेंटर जारी किये जाते है. उन राज्यों में स्कूल हेडमास्टर को डिजिटल तरीके से दस्तावेज जूता कर अधिकारियो तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गयी है.