वाशिंगटन: इस बात का अंदजा आज कोई भी नहीं लगा सकता है, कि इस प्रदुषण और बीमारियों से भरे दौर में कोई सुरक्षित है भी या नहीं. हर साल लोगों को कोई न कोई नई बीमारी का सामना करना पड़ता है. और कई बार तो यह भी होता है कि बीमारियों से लड़ते लड़ते लोग अपनी जान भी गवां देते है. वहीं वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को इस बात का डर सताने लगा है कि कोरोनावायरस कहीं मौसमी फ्लू की तरह हर साल आने वाला संक्रमण न बन जाए. दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में करीब 90 हजार लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं और तीन हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. चीन में अब इसके संक्रमण पर लगाम लगने के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन दक्षिण कोरिया, इटली, ईरान और भारत में भी संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है.
जानकारी के लिए हम बता दें कि वैज्ञानिकों को अब लगने लगा है कि कोरोनावायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता और यह सर्दी-खांसी, छाती में होने वाले संक्रमण और फ्लू की तरह हल साल आ सकता है. ये सभी विषाणुजनित संक्रमण हैं जो आम तौर पर सर्दियों में लोगों को परेशान करते हैं. ये बार-बार होते हैं, क्योंकि इनके लिए जिम्मेदार विषाणुओं की प्रकृति लगातार बदलती रहती है.
श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं विषाणु: लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के प्रो जॉन ऑक्सफोर्ड ने बताया कि कोरोनावायरस परिवार के दूसरे विषाणुओं को देखें तो वे श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं. वैज्ञानिक ऐसे विषाणुओं को करीब 50 वर्षों से जानते हैं. अब देखना यह है कि कोविद-19 उनके पैटर्न में फिट बैठता है या नहीं.सूत्रों की माने तो जॉन्स होपकिन्स यूनिवर्सिटी के डॉ अमेश अदल्जा ने कहा कि कोरोना वायरस से इतनी जल्दी पीछा नहीं छूटने वाला, इसे बिना टीके के खत्म नहीं किया जा सकता.
साल भर रह सकता है असर: वहीं अब भी इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोनावायरस परिवार के विषाणु सर्दियों में ज्यादा फैलते हैं. वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के डॉ विलियम शेफनर ने कहा कि श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले विषाणु आम तौर पर मौसमी होते हैं, लेकिन हर विषाणु ऐसा नहीं होता. अब देखना यह है कि गर्मी बढ़ने के साथ इसका संक्त्रस्मण रुकता है या नहीं. समस्या यह है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में अलग-अलग समय पर सर्दियों का मौसम आता है. कोरोनावायरस केवल सर्दियों में भी फैला तो पूरे साल इसका असर बना रह सकता है.
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