धरती के केंद्र में छिपी एक पूर्ण रूप से नई दुनिया की तलाश वैज्ञानिकों ने कर ली है। इसे जमीन के नीचे 'पाताल' की खोज जैसा कहा जा रहा है। अब तक धरती के केंद्र मतलब इनर कोर को लेकर दावा किया जाता रहा है कि इनर कोर कठोर है, मगर नई रिसर्च के अनुसार, इनर कोर पिलपिला है। 50 वर्षों से अधिक वक़्त से ऐसा कहा जाता रहा है कि धरती का इनर कोर मतलब केंद्र लोहे के अयस्कों का एक ठोस गोला है तथा बाहर तरल आउटर कोर है, मगर हाल में आई रिसर्च कुछ और बोलती है।
वही ये रिसर्च जर्नल फिजिक्स ऑफ द अर्थ एंड प्लैनेटरी इंटीरियर्स में प्रकाशित हुई है। इसके मुताबिक, इनर कोर पूर्ण रूप से कठोर नहीं है। ये कई स्थानों पर थोड़ा नरम से लेकर तरल धातु की भांति है मतलब पिलपिला है। इंग्लैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की सीस्मोलॉजिस्ट जेसिका इरविंग के अनुसार, धरती के इनर कोर को लेकर जितना अध्ययन किया जा रहा है, उतने ही नए खुलासे हो रहे हैं। जेसिका इरविंग बोलती है कि धरती का इनर कोर ठोस लोहे का गोला नहीं है। हम भूमि के केंद्र में एक पूरी नई दुनिया देख रहे हैं। हालांकि जेसिका स्वयं हाल में किए गए अध्ययन में सम्मिलित नहीं हैं, उन्होंने इस अध्ययन को पढ़ा है।
वही हाल ही में किए गए रिसर्च में हवाई इंस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स एंड प्लैनेटोलॉजी के भू-भौतिक विज्ञानी रेट बटलर तथा उनकी टीम ने बड़े भूकंपों से उठने वाली भूगर्भीय तरंगों की तहकीकात की। उन्होंने धरती पर आए बड़े भूकंपों से निकलने वाली तरंगों को पांच भिन्न-भिन्न जगहों पर मापा एवं पाया कि तरंगें धरती के कोर तक जाती हैं, फिर वहां से निकल कर पुरे विश्व में फैलती हैं।
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