कोच्ची: केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 300 के पार पहुंच गई है, वहीं 200 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। सेना , NDRF के साथ RSS और सेवा भारती वहां पीड़ित लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं। RSS और सेवा भारती के सदस्य पीड़ितों को भोजन-पानी और आश्रय मुहैया करा रहे हैं, साथ ही रास्ते से मलबा भी साफ़ कर रहे हैं, ताकि NDRF और सेना को प्रभावित इलाकों में पहुँचने में आसानी हो। इस बीच राज्य की वामपंथी सरकार ने वैज्ञानिक समुदाय के खिलाफ आपदा पर टिप्पणी करने या साइट पर जाने से मना कर दिया है। राज्य की पिनारई विजयन सरकार ने केरल के सभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों को एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया है, जिसमें उन्हें आपदा स्थलों पर जाने या घटना के बारे में अपनी राय साझा करने से रोक दिया गया है।
राहुल गांधी जी ये वही #RSS के स्वयंसेवक हैं जिन्हें आप पानी पी पी कर कोसते हैं। जब आप यहाँ दिल्ली में मौज काट रहे और सबकी जाती पूछ रहे हैं उस समय संघ के स्वयंसेवक और सेवा भारती के कार्यकर्ता वायनाड भूस्खलन से पीड़ित लोगों की मदद कर रहे हैं।
— Nishant Azad/निशांत आज़ाद???????? (@azad_nishant) July 30, 2024
ये वही राज्य है जहां सत्ता में लेफ्ट… pic.twitter.com/3W88L0EURf
इस आदेश में, राज्य राहत आयुक्त और केरल राज्य आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव टिंकू बिस्वाल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव को केरल के सभी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों को निर्देश देने के लिए कहा है कि वे वायनाड के मेप्पाडी पंचायत में कोई भी क्षेत्रीय दौरा न करें, जिसे आपदा प्रभावित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया गया है। नोट में कहा गया है कि, "वैज्ञानिक समुदाय को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे अपनी राय और अध्ययन रिपोर्ट मीडिया के साथ साझा करने से खुद को रोकें। अगर आपदा प्रभावित क्षेत्र में कोई अध्ययन किया जाना है, तो केरल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से पूर्व अनुमति लेनी होगी।" इसमें कहा गया है कि यदि आपदा प्रभावित क्षेत्र में कोई अध्ययन किया जाना है तो केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
केरल से चौंकाने वाली खबर -
— PAWAN TYAGI ( राष्ट्र प्रथम ) (@drpawantyagi07) August 1, 2024
केरल सरकार ने वैज्ञानिकों को वायनाड में प्रभावित स्थलों पर जाने और इस बारे में कोई भी बयान जारी करने पर रोक लगा दी है।
आदेश में यह भी कहा गया है कि वैज्ञानिक ग्रुप बिना अनुमति के अपने अध्ययन या राय साझा नहीं करेंगे।
यदि आपदा प्रभावित क्षेत्र में कोई… pic.twitter.com/HGpwlyJOdV
मीडिया से बात करते हुए टिंकू बिस्वाल ने कहा कि यह कदम आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल के अनुरूप है। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि, "बचाव और राहत कर्मियों के अलावा, हम आपदा स्थल पर अन्य लोगों की आवाजाही को हतोत्साहित करते हैं और जहाँ तक संभव हो, प्रतिबंधित करते हैं।" जब उनसे अध्ययनों को साझा करने पर रोक के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि विभिन्न सिद्धांत और प्रति-सिद्धांत सामने आ रहे हैं और आपदा के दौरान ऐसा नहीं होना चाहिए।
टिंकू बिस्वाल ने मीडिया को बताया कि, "वे स्थानीय आबादी को प्रभावित करते हैं। हम नहीं चाहते कि लोग सिद्धांतों से विचलित हों। यह लोगों के मूड को खराब करता है। अगर कोई अध्ययन करने की जरूरत है, तो वह बाद में किया जा सकता है।" उल्लेखनीय है कि यह निर्देश उसी पिनाराई विजयन सरकार द्वारा जारी किया गया है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने तथा केरल को पूर्ण विकसित 'ज्ञान अर्थव्यवस्था' के मार्ग पर ले जाने पर गर्व करती है।
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