नई दिल्ली: जिहाद, धर्मान्तरण और आतंकवाद से जुड़ी सत्य घटनाओं पर आधारित होने का दावा करने वाली फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ (The Kerala Story) की रिलीज से पहले ही सुर्ख़ियों में है। इसी बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। यह स्क्रीनिंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने आयोजित की थी। वहीं, लेफ्ट और कांग्रेस स्टूडेंट विंग के समर्थक छात्रों ने स्क्रीनिंग का विरोध किया। फिल्म 5 मई 2023 को रिलीज होगी।
Vivekananda Vichar Manch presents premier screening of “THE KERALA STORY” uncovering the reality of ‘Love Jihad’- forceful conversion, women trafficking & women exploitation on 2nd May 2023 at Auditorium-1, Convention Center, Jawaharlal Nehru University. #TheKeralaStory pic.twitter.com/MMZt9yxIqk
— ABVP JNU (@abvpjnu) May 1, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ABVP ने JNU परिसर में मंगलवार (2 मई) शाम 4 बजे स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया था। वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर विरोध जताया। SFI ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, 'SFI-JNU यूनिट इस प्रचार फिल्म की स्क्रीनिंग की निंदा और सख्त विरोध करती है। यह फिल्म धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने को कलंकित कर देगी।' इतना ही नहीं, SFI ने इस फिल्म को RSS का प्रोपेगेंडा करार दिया है।
दरअसल, ‘The Kerala Story’ फिल्म में बताया गया है कि किस तरह केरल में कट्टरपंथी मुस्लिम युवकों को गैर-मुस्लिम लड़कियों को फँसाने की ट्रेनिंग दी जाती हैं, जिसके बाद लड़की का इस्लामी धर्मांतरण कराकर उन्हें आतंकी संगठन ISIS की यौन दासियाँ बनने के लिए सीरिया-अफगानिस्तान जैसे देशों में भेज दिया जाता है।
JNU में लगे "जय श्री राम" के नारे।
— Panchjanya (@epanchjanya) May 2, 2023
The Kerala Story फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान छात्रों ने लगाए नारे। pic.twitter.com/pBnySiX2Oy
बता दें कि इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की माँग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल हुई थी। मगर, अदालत ने मंगलवार (2 मई) को इस पर सुनवाई करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया गया था। दरअसल, हेट स्पीच संबंधी अपराधों को लेकर शीर्ष अदालत में एक पेंडिंग रिट पेटिशन दाखिल की गई है, उसी के तहत इस IA को डाला गया था। जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इसके जरिए किसी फिल्म की रिलीज को चुनौती देना सही तरीका नहीं है।
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