बढ़ते प्रदुषण और केमिकल युक्त पदार्थों ने इंसानी जीवन को अस्वास्थ्य रखने में कोई असर नहीं छोड़ी है और वो दिन भी दूर नहीं जब ये दुनिया प्रदुषण और केमिकल की वजह से विनाश की कगार पर पहुँच जाएगी. इन सब की वजह से आज लोगों के सामने अपनी हेल्दी लाइफ स्टाइल को लेकर सबसे बड़ी चुनौतियाँ है. फूड प्रोडक्ट्स व खाना परोसने के लिए इस्तेमाल हो रहा प्लास्टिक न सिर्फ हेल्थ के लिहाजा से खराब है, बल्कि दुनिया भर में इससे प्रदूषण भी बढ़ रहा है.
दरअसल, प्लास्टिक न गलता है, न जलता है. यदि इसे जलाया जाता है, तो इससे निकलने वाला धुंआ सेहत के लिए ठीक नहीं होता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दुनियाभर में प्लास्टिक से निजात पाने के लिए शोध किए जा रहे हैं. इसमें काफी हदतक वैज्ञानिकों को सफलता भी मिली है.
जी हां, प्लास्टिक के पैक में खाने-पीने की सामग्री परोसने के खतरों से निजात पाने के लिए दुनियाभर में लगातार शोध हो रहे हैं. वैज्ञानिक व उद्यमी इसके विकल्प तलाश रहे हैं. इन्हीं प्रयासों में हैदराबाद के नारायण पीसपति ने मोटे अनाज के आटे से खाने में इस्तेमाल होने वाला चम्मच बनाया है, जिसे खाना समाप्त करने के बाद थाली में रखने की जरूरत नहीं है. मतलब, चम्मच भी भोजन का हिस्सा ही है.
इसी तरह, ब्रिटेन के एक स्टार्ट-अप ने समुद्री शैवाल से पानी का बरतन यानी जलपात्र बनाया है. वहां के अखबार 'गार्जियन' की रपट में सोमवार को कहा गया कि यह प्लास्टि की वैश्विक समस्या का समाधान बन सकता है. यदि यह प्रयोग सफल रहा और इसमें कोई हानिकारक तत्व नहीं पाया गया, तो यह प्लास्टिक के बोतलबंद पानी की जगह लेगा और लोगों को प्लास्टिक के बोतल से निजात मिल जाएगी. गौरतलब है कि पिछले महीने बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों के मौजूद होने की बात सामने आई थी, जिससे उपभोक्ताओं की सेहत पर गंभीर खतरा होने की बात कही गई थी.
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