नई दिल्ली: इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जारी जंग को लेकर भारत में बहुत अधिक गहमागहमी मची हुई है। मामला, मुस्लिमों से जुड़ा होने के कारण भारत के मुसलमान इसमें काफी दिलचस्पी ले रहे हैं। कांग्रेस-AIMIM जैसे राजनितिक दलों के साथ-साथ भारत के मुस्लिम संगठन एक सुर में फिलिस्तीन का समर्थन कर रहे हैं। हालाँकि, इनमे से कोई भी फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले, नग्न घुमाई गई महिलाओं, बच्चों की बर्बर हत्या, बंधक बनाए गए महिलाओं-बच्चों पर बोलने के लिए तैयार नहीं है। यानी ये तमाम लोग हमास की आतंकी हरकतों पर पर्दा डालकर केवल इजराइल का विरोध कर रहे हैं, जो अपने 200 नागरिकों को आतंकियों की कैद से छुड़ाने के लिए लड़ रहा है।
इस बीच भारतीय मुस्लिम धार्मिक नेता गाजा में जारी हिंसा को समाप्त करने के लिए एकजुटता के साथ लामबंद हुए हैं। एक संयुक्त बयान में इन नेताओं ने गाजा में मानव जीवन की हानि, इजरायली सेना द्वारा अस्पतालों पर बमबारी और फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाओं में व्यवधान की निंदा की है। भारतीय मुसलमान नेताओं के संयुक्त बयान में फिलिस्तीनियों को उनके घरों और जमीनों से विस्थापित करने की इजरायली सरकार की लंबे समय से चली आ रही प्रथा के साथ-साथ फिलिस्तीन के स्वदेशी लोगों के साथ दुर्व्यवहार पर जोर दिया गया है। यह फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इजरायली बस्तियों, पवित्र अल-अक्सा मस्जिद के अपमान और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने वाली अन्य नीतियों पर जोर देता है। बयान में तर्क दिया गया है कि इज़राइल क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक बड़ी बाधा है। गौर करने वाली बात ये भी है कि, इन मुस्लिम नेताओं को इजराइल तो शांति में बाधा नज़र आ रहा है, लेकिन हमास के कुकर्मों पर उनकी बेशर्म चुप्पी कई सवाल उठाती है।
Ensure Restoration of Palestinian peoples Rights: Joint statement by Muslim Leaders#Palestine pic.twitter.com/xZMdGebDvH
— Jamaat-e-Islami Hind (@JIHMarkaz) October 17, 2023
भारतीय मुस्लिम नेताओं का यह बयान नई दिल्ली में फिलिस्तीनी राजदूत के साथ बंद कमरे में हुई 'गुप्त' बैठक के बाद आया है। वे गाजा और फिलिस्तीन के अन्य हिस्सों में इजरायली बलों द्वारा जारी हिंसा को रोकने, फिलिस्तीनियों के मानवाधिकारों को बहाल करने और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान कर रहे हैं। संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख मुस्लिम संगठनों और नेताओं में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलमा-ए-हिंद, जमात-ए-इस्लामी, इमारत-ए-शरिया, ऑल इंडिया उलेमा और मसाईख बोर्ड और मिल्ली परिषद के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, जमीयत अहल-ए-हदीस के नेताओं, दिल्ली की फ़तेहपुरी मस्जिद और शिया की जामा मस्जिद के इमाम के साथ-साथ मजलिस-ए-मुशावरत के एक पूर्व अध्यक्ष ने भी इस सामूहिक बयान का समर्थन किया है।
यही नहीं, इन मुस्लिम नेताओं ने भारत सरकार से फ़िलिस्तीन के समर्थन में बने रहने का आग्रह किया। वे भारत की फिलिस्तीन समर्थक विदेश नीति को जारी रखने के महत्व पर जोर देते हैं, जिसे महात्मा गांधी और पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं का समर्थन मिला है। बयान में दोहराया गया है कि फिलिस्तीनियों के पास फिलिस्तीन की भूमि पर वैध अधिकार है।
बता दें कि, हमास और इज़राइल के बीच जारी लड़ाई में कल एक दुखद घटना घटी थी, जब गाजा पट्टी के अल-अहली अरब अस्पताल में विस्फोट के कारण 500 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। फ़िलिस्तीन का दावा है कि अस्पताल को इज़रायली हवाई हमले द्वारा निशाना बनाया गया था। हालाँकि, इज़रायल ने इन आरोपों से इनकार किया है और इस घटना के लिए फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद द्वारा लॉन्च किए गए एक असफल रॉकेट को जिम्मेदार ठहराया है। इजराइल ने बताया है कि, आतंकी संगठन इस्लामिक जिहाद ने उस (इजराइल) पर रॉकेट दागा था, जो मिसफायर होकर गाज़ा के ही अस्पताल पर गिर गया।
KCR पर राहुल गांधी ने लगाया परिवारवाद का आरोप, बोले- तेलंगाना का पूरा नियंत्रण एक ही 'परिवार' के पास
नूंह में शोभायात्रा पर हुए जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने कांग्रेस विधायक मम्मन खान को दी जमानत