नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के धारा 497 पर फैसला सुनाते हुए व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. अदालत के इस फैसले की कई लोगों ने प्रशंसा की है, वहीं कुछ विशेषज्ञों ने सावधानी बरतने का आह्वान किया और इसे महिला-विरोधी बताया, साथ ही यह चेतावनी भी दी कि अदालत के यह फैसला लोगों को "अवैध" संबंध रखने का लाइसेंस दे दिया है. महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालिवाल ने कहा कि व्यभिचार को पूरी तरह से खत्म करना देश में महिलाओं के दर्द को बढ़ाना है.
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स्वाति ने कहा कि व्यभिचार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह असहमत हैं, यह निर्णय महिला विरोधी है. एक तरह से, अदालत के इस फैसले ने लोगों को विवाह में रहने के साथ-साथ अवैध संबंध रखने का लाइसेंस दे दिया है. उन्होंने कहा कि अगर ये फैसला सही है तो फिर शादी कि पवित्रता क्या है ? . कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने भी अदालत के फैसले पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा कि अदालत बताए की ये किस तरह सही है. उन्होंने कहा कि अदालत ने ट्रिपल तलाक़ को जुर्म बताया है, वहीं व्यभिचार को स्वीकृति दी है, ऐसे में अगर पति कई शादियां करता है और अपनी बीवी को तलाक न देकर सिर्फ उसे छोड़ देता है तो क्या किया जाएगा
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सामाजिक कार्यकर्ता ब्रिंडा अडिगे ने भी स्पष्टता मांगी और पूछा कि क्या यह निर्णय बहुविवाह की अनुमति देता है. "क्योंकि हम जानते हैं कि पुरुष अक्सर दो या तीन बार शादी करते हैं और समस्या तब उत्पन्न होती है जब पहली, दूसरी या तीसरी पत्नी को त्याग दिया जाता है. अगर व्यभिचार अपराध नहीं है, तो यह महिला अपने पति के खिलाफ किस आधार पर मामला दर्ज कर सकती है, जिसे अपने पति द्वारा त्याग दिया गया है, यह गहन चिंता का विषय है.
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