मुंबई: द सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) द्वारा शेयरों में निवेश करने की सीमा तय की जा सकती हैं, बताया जा रहा है कि सेबी शेयर मार्केट में निवेश करने वालों की निवेश पूंजी उनके नेट वर्थ से जोड़ सकता है. सेबी ने यह कदम इसलिए उठाया है, ताकि लोग शेयर बाजार में एक सीमा से ज्यादा पैसा निवेश न करें.
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सेबी ने इसकी जानकारी शेयर मार्केट के ब्रोकर्स को भी दी है, इस पर एक ब्रोकर ने कहा है कि "रेगुलेटर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और ब्रोकर्स से निवेशकों की एसेट्स को सर्टिफाई कराना चाहता है और उसे देखते हुए उनके इक्विटी एक्सपोजर की सीमा तय की जाएगी " यह योजना दूसरे देशों के शेयर मार्केट्स में भी अपनाई जाती है. अमेरिका में इस सिस्टम को उन निवेशकों को बचाने के लिए अपनाया है, जो अनरजिस्टर्ड कंपनियों में निवेश के आर्थिक खतरों को बर्दाश्त नहीं कर सकते.
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आपको बता दें कि भारत में इस सिस्टम के लागू होने से निवेशकों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, ख़ास कर उनलोगों पर जो अपनी वास्तविक आमदनी की जानकारी नहीं देते. साथ ही ब्रोकर्स का कहना हैं कि इससे उनके बिजनेस में भी कमी आएगी. जबकि सेबी का कहना है कि शेयर मार्केट में अंधाधुंध निवेश करने के बाद जब निवेशक को बड़ा घाटा हो जाता है तो या तो वो जुर्म की तरफ चले जाता है या फिर आत्महत्या कर लेता है, इसी को रोकने के लिए सेबी ने ये क़दम उठाया है. आपको बता दें कि शेयर को बॉन्ड के मुकाबले अधिक रिस्की माना जाता है.
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