दुनियाभर में जारी कोरोना प्रकोप के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान के नेताओं और आतंकी संगठनों से अपील की है कि वे कोरोना महामारी को परास्त करने के लिए देश में पहले संघर्ष विराम का रास्ता अपनाएं. संघर्ष विराम के बाद ही देश में कोरोना संक्रमण की जांच और लोगों के बीच मानवीय मदद पहुंचाने की संभावना बन सकती है. पड़ोसी मुल्क ईरान और पाकिस्तान से वापस लौट रहे अफगानी शरणार्थियों के कोरोना से संक्रमित होने की आशंका पहले से ही जताई जा रही है.
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इस कथन को लेकर सुरक्षा परिषद के संदेश में यूएन की विशेष प्रतिनिधि इनग्रिद हेडेन ने कहा, फरवरी में अमेरिका के साथ तालिबान के संघर्ष विराम की घोषणा के बावजूद अफगानिस्तान में आंतकी हमले जारी हैं. यह बेहद निंदनीय है. सुरक्षा परिषद ने इस बात पर भी जोर दिया है कि देश के शीर्ष नेताओं के बीच जारी सत्ता संघर्ष का खेल भी जल्द बंद होना चाहिए. अफगानिस्तान में हाल में संपन्न हुए चुनाव के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी के अलावा उनके मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी अपनी जीत घोषित कर दी थी. राजनीतिक अस्थिरता की वजह से देश में हालात और बिगड़ गए हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया इस समय सबसे चुनौतीपूर्ण संकट का सामना कर रही है. दुनिया भर के देश कोरोना वायरस (COVID-19) की महामारी का सामना कर रहे हैं. वही, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने मंगलवार को कोरोना वायरस के सामाजिक आर्थिक प्रभावों पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि कोरोना महामारी की वजह से दुनिया में अस्थिरता, अशांति और संघर्ष बढ़ेगा. उन्होंने सामाजिक और आर्थिक तबाही पैदा करने वाले कोरोना वायरस से वैश्विक स्तर पर और मजबूती से लड़ने का आह्वान किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह तभी संभव होगा जब सभी लोग एक साथ आएंगे और अगर हम राजनीतिक मुद्दों को भूल कर मानव जाति के लिए काम करें.
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