लंदन : सन 1888 के दौरान वेश्याओं को मार कर उनके शरीर के अंग निकालने वाले हत्यारे का पता घटना के 100 वर्षों से अधिक समय बीतने के बाद लगा लिया गया है। जांचकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने आखिरकार 'जैक द रिपर' का पर्दाफाश कर दिया है। लंदन में 1888 के वक़्त इस सीरियल किलर की काफी दहशत था। हत्यारा केवल वेश्याओं को ही अपना शिकार बनाया करता था। हैरान करने वाली बात यह है कि इस हत्याओं का खुलासा होने में 100 वर्ष से भी अधिक का समय लगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने डीएनए मैच के आधार पर गत सप्ताह ही यह खुलासा किया है। हत्यारा हत्या के बाद लाश का कोई न कोई अंग निकाल लेता था।
लगभग 130 वर्ष पहले सीरियल किलर द्वारा मारी गई पांच पीड़ितों के पास से बरामद हुए शॉल से डीएनए लिया गया, जो 23 वर्ष के एरन कॉसमिंस्की नाम के एक नाई से मैच हो रहा है। पहले भी जांचकर्ताओं ने उसे मुख्य अभियुक्त माना था, किन्तु पर्याप्त सबूत न होने से उसे छोड़ दिया गया था। किन्तु अब इस हत्यारे के विरुद्ध डीएनए टेस्ट के माध्यम से सबूत मिल गया है। इस मामले के बंद होने के बाद इस मामले में छपे सबसे ताजा अध्ययन में यह बात कही गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि 1888 में कैथरीन एडवर्स नाम की मृतक महिला के पास से एक सिल्क का शॉल बरामद हुए था, जिस पर खून और वीर्य के धब्बे थे। इनकी जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह डीएनए एरन के डीएनए से पूरी तरह मिलता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स और लीवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी के जारी लोहेलमेन की ओर से प्रकाशित किए गए रिसर्च पेपर्स में इस बारे में खुलासा किया गया है। उन्होंने अपने अध्ययन में यह भी लिखा है कि हत्यारे के बाल और आँखें दोनों भूरे रंग के थे। उन्होंने लिखा है कि, 'हत्यारे की पहचान आज तक एक रहस्य बनी हुई थी। अब हमारे अध्ययन के आधार पर यह सबूत एकमात्र ऐसा सबूत है, जो सीधे तौर पर हत्यारे से सम्बंधित है।'
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