हांगझोऊ एशियाई खेलों के लिए टीम में चयनित किए जाने के उपरांत अब तीरंदाज मनमानी नहीं कर पाएंगे। आर्चरी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की ओर से तैयार नीति के अंतर्गत अगर तीरंदाज पहले और दूसरे विश्व कप में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो उन्हें हांगझोऊ के लिए दोबारा ट्रायल देना अनिवार्य कर दिया गया है।
बीते खेलों के बीच संघ ने अनुभव किया कि तीरंदाज एक बार टीम में चयनित होने के उपरांत अपनी मनमानी कर अभ्यास में ढिलाई करते हैं। संघ का कहना है कि पहले 2 वर्ल्डकप में शीर्ष पर रहने वाले रीकर्व इंडियन अर्चेर्स से 10 अंक और कंपाउंड में 5 अंक नीचे का स्कोर करने वाला तीरंदाज 5 से 8 स्थान पर रहने वाले तीरंदाजों के साथ दोबारा ट्रायल देना पड़ेगा। यहां शीर्ष पर रहने वाले को एशियाई खेलों की टीम में स्थान भी मिल जाएगा।
सोनीपत में दो ट्रायल के बाद चयनित होगी टीम: हम बता दें कि तीरंदाजी संघ दो ट्रायल के उपरांत एशियाई खेल, चार विश्व कप के लिए टीम का चयन भी करने वाली है। पहला ओपन ट्रायल सात से 10 मार्च को सोनीपत में होने वाला है। इसमें सीनियर, जूनियर राष्ट्रीय रैंकिंग टूर्नामेंट में पहले ही 16-16 स्थानों पर रहने वाले तीरंदाजों के साथ पिछले 12 माह में रीकर्व में 660 (पुरुष) 640 (महिला) और कंपाउंड में 700 (पुरुष) 690 (महिला) का मिनिमम क्वालिफिकेशन स्कोर (एमक्यूएस) करने वाले तीरंदाज खेलते हुए नज़र आने वाले है।
यहां से 24-27 मार्च को सोनीपत में ही दूसरे ट्रायल के लिए 12-12 रीकर्व और कंपाउंड तीरंदाज से खेलने वाले है। साथ ही राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पूर्व 4 स्थान पर रहने वाले तीरंदाज भी इसमें खेलते हुए नज़र आने वाले है। वहीं दूसरे ट्रायल से टॉप आठ तीरंदाजों का चयन किया जाने वाला है। पहले चार तीरंदाज टीम A और 5 से 8 पर रहने वाले टीम बी के लिए चयन किया जाने वाला है। टीम A पहले 2 वर्ल्डकप, एशियाई खेलों में खेलती हुई नज़र आने वाली है। यहीं तीरंदाजी संघ ने तीरंदाजों की राह कठिन की है।
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