आत्मशोधन पहला कर्मकांड है

आत्मशोधन पहला कर्मकांड है
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उज्जैन : जब तक कषाय-कल्मष रहेंगे भगवान की कृपा नहीं पाई जा सकती है। आत्मशोधन पहला कर्मकांड है। अंतःकरण की चेतना के परिष्कार के लिए ही तो सारे भजन, पूजन हैं। कर्मकांड के पीछे उच्च कोटि की विचारणा है। 

यह जानकारी मध्य झोन भोपाल के जोनल सहयोगी प्रभाकांत तिवारी ने गायत्री शक्तिपीठ पर 7 दिवसीय कर्मकांड प्रशिक्षण शिविर के शुभारंभ के अवसर पर दी। आपने बताया कि सही तरीके से पूजा तभी होगी जब उसमें अंतर्निहित दर्शन की महत्ता को याद रखेंगे। प्रचार प्रसार सेवक देवेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि गायत्री परिवार के अंर्तराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिकुज्ज हरिद्वार द्वारा आगामी दिनों में घर-घर यज्ञ कराने की योजना बनाई है, इसी की पूर्ति के लिए यहाँ पर 7 दिन का प्रशिक्षण शिविर लगाया गया है। 

शिवनी उपझोन के समन्वयक आर.सी. गायकवाड़ संस्कारों का तथा उपझोन सहयोगी संदीप विश्वकर्मा गीत-संगीत और ढपली बजाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। गायत्री शक्तिपीठ के साथ ही नए शहर के परिजनों की सुविधा के लिए श्री विश्वप्रेमी सत्संग भवन संतनगर बागपुरा के पास भी यही प्रशिक्षण सुबह 8 से सांय 5 बजे तक दिया जा रहा है। सांयकाल 7.30 से रात्रि 9 बजे तक गायत्री शक्तिपीठ पर प्रवचनों का क्रम चलेगा जिसका लाभ जनसामान्य भी ले सकते हैं। उपक्षोन समन्वयक महाकालेश्वर श्रीवास्तव ने नगरवासियों से सांयकालीन प्रवचनों का लाभ लेने की अपील की है।

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