महाराष्ट्र के इन 8 गांवों में स्थापित हैं स्वयंभू 'अष्टविनायक' गणपति

महाराष्ट्र के इन 8 गांवों में स्थापित हैं स्वयंभू 'अष्टविनायक' गणपति
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गणेशोत्सव भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख और आनंददायक त्योहार है, जो हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को होगी और गणेश विसर्जन 17 सितंबर 2024 को होगा। इस दौरान, घरों, मंदिरों और पूजा पंडालों में गणेश जी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। देशभर में इस त्योहार का उत्साह और खुशी का माहौल रहता है, खासकर महाराष्ट्र में, जहां इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

इस पर्व पर विशेष रूप से अष्टविनायक मंदिरों की यात्रा की जाती है, जहां भगवान गणेश के आठ स्वरूप प्रतिष्ठित हैं। ये मंदिर स्वयंभू माने जाते हैं, यानी यहां भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्वंय प्रकट हुई हैं। गणेश चतुर्थी के अवसर पर इन मंदिरों की यात्रा विशेष महत्व रखती है। यहां प्रमुख अष्टविनायक मंदिरों की जानकारी दी गई है:

विघ्नेश्वर अष्टविनायक मंदिर: 
पुणे-नासिक रोड पर स्थित इस मंदिर का विशेष महत्व है। भक्त यहां आकर अपने दुखों का निवारण प्राप्त करते हैं। यह मंदिर लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर है।

बल्लालेश्वर मंदिर: 
रायगढ़ के पाली गांव में स्थित यह मंदिर भगवान गणेश के परम भक्त बल्लाल के नाम पर प्रसिद्ध है। भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

वरदविनायक मंदिर: 
रायगढ़ के कोल्हापुर में स्थित इस मंदिर में एक नंददीप है, जो कई वर्षों से प्रज्वलित है। भक्त यहां आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

मयूरेश्वर मंदिर: 
पुणे के मोरगांव में स्थित इस मंदिर में चार द्वार हैं, जो चार युगों का प्रतीक माने जाते हैं। गणपति बप्पा यहां बैठी मुद्रा में हैं, और उनकी पूजा करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर: 
पुणे से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में गणेश जी की तीन फीट ऊंची प्रतिमा है। इस मंदिर का मानना है कि यहां मांगी गई मन्नत पूरी होती है।

महागणपति मंदिर: 
राजणगांव में स्थित इस मंदिर का मुख्य द्वार आकर्षक है। भक्त यहां आकर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

गिरिजात्मल अष्टविनायक: 
लेण्याद्री गांव में स्थित इस मंदिर में 18 गुफाएं हैं, जिसमें से आठवीं गुफा में गणेश जी विराजमान हैं। यह मंदिर पुणे से लगभग 90 किलोमीटर दूर है और भक्त यहां आकर गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

चिंतामणी मंदिर: 
इस मंदिर में जाकर भक्त अपनी चिंताओं और समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। अगर आपकी कोई समस्या है, तो आप यहां दर्शन कर सकते हैं और समाधान की प्राप्ति की आशा कर सकते हैं।

गणेशोत्सव के अवसर पर इन अष्टविनायक मंदिरों की यात्रा विशेष रूप से पुणे और उसके आस-पास के क्षेत्र में धार्मिक महत्व रखती है।

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