कोलकाता: पश्चिम बंगाल पुलिस ने राज्य के उत्तर 24 परगना जिले में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के सिलसिले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसकी पहचान शफीक अली के रूप में हुई है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि आरोपी शफीक अली को जिले के नीलगंज इलाके से गिरफ्तार किया गया है। मामले के संबंध में जिला पुलिस द्वारा कुछ अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया और उनसे पूछताछ की जा रही है। बता दें कि, रविवार (27 अगस्त) सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुई इस घटना में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 7 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
कथित तौर पर शफीक अली फैक्ट्री के मालिक केरामत अली के साथ साझेदारी में कथित अवैध पटाखों का कारोबार चला रहा था, जो अपने बेटे के साथ विस्फोट में मर गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि विस्फोट का प्रभाव इतना तीव्र था कि पड़ोस के 50 से अधिक घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए और लोगों के शरीर के अंग कई इमारतों की छतों पर पाए गए। उन्होंने कहा कि उन्हें संदेह है कि कई लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए हैं । राज्य के गवर्नर डॉ. सी वी आनंद बोस, उत्तर बंगाल की तीन दिवसीय यात्रा के बाद शहर लौटने के बाद कोलकाता हवाई अड्डे से दत्तपुकुर पहुंचे, उन्होंने कहा कि वह स्थिति का मूल्यांकन करेंगे। गवर्नर ने कहा कि, "यह बहुत चौंकाने वाला और परेशान करने वाला है। मैं उस दिन सिलीगुड़ी में था, जहां हमारे एक युवा मित्र की हमले के कारण मृत्यु हो गई। यह बहुत दर्दनाक है। अब, हमारे पास यह घटना है। मैं समझता हूं कि आठ बहुमूल्य जिंदगियां बर्बाद हो गई हैं।'' बता दें कि, इसी साल मई में पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में इसी तरह के विस्फोट में 12 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दक्षिण 24 परगना जिले के महेशतला में एक अन्य विस्फोट में तीन लोगों की मौत हो गई थी।
बता दें कि, बंगाल में बम विस्फोट अब खेल की तरह हो गया है। यहाँ आए दिन अवैध पटाखा फैक्ट्रियों में बम विस्फोट होते हैं, जिसमे कई लोगों की जान जाती है। यहाँ तक कि, कई बार अपने घरों में बम बना रहे लोगों की भी अचानक हुए विस्फोट में मौतें हुईं हैं। बंगाल में मैदानों में खेलते हुए बच्चों तक को बम पड़े हुए मिल जाते हैं, जिन्हे वे गेंद समझकर उठा लेते हैं और फिर उनकी जान पर बन आती है। ऐसी कई घटनाएं बंगाल से सामने आ चुकी हैं। लेकिन, इस तरह की तमाम घटनाओं के बावजूद कोई भी बंगाल सरकार से यह पूछने के लिए तैयार नहीं है, कि बारूद के ढेर पर बैठ चुके राज्य को बचाने के लिए राज्य सरकार क्या कर रही है और इस तरह की घटनाएं क्यों नहीं थम रहीं हैं ?
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