बॉलीवुड में अपने अंदाज के लिए मशहूर शाहरुख़ खान इन दिनों अपनी नयी फिल्म के शूट में व्यस्त हैं। जी हाँ और उनकी नयी फिल्म का नाम है पठान। इस फिल्म को लेकर इन दिनों काफी चर्चे हो रहे हैं और फिल्म की शूटिंग कर कुछ समय पहले ही किंग खान स्पेन से मुंबई लौटे हैं। अब इन सभी के बीच कई लोग इस फिल्म का बायकॉट करते दिख रहे हैं और इसी बीच सोशल साइट्स पर एक कहानी वायरल हो रही है जो पठान फिल्म की दिखाई जा रही है।
कहानी कुछ इस तरह है- ''एक पठान जिसका रोल शाहरुख़ खान ने किया है, उसके मां-बाप बचपन में ही अज्ञात हमलावरों द्वारा मार दिए जाते हैं। वह बदले की आग में झुलसता हुआ बड़ा होता है और उन्हें ढूंढकर मारना चाहता है…। उसके वालीदान के क़ातिल कौन हैं ? यह सस्पेन्स फ़िल्म के अंत में खुलेगा, जो आपको चौंका देगा! इस बीच उसे एक मौलवी अपनी औलाद की तरह पालता है और उसके मन में यह ज़हर भरता काफ़िरों के सफाए से जन्नत मिलती है और खुदा वहां 72 निर्वस्त्र हूरें, अंग्रेज़ी शराब और ऑर्गेनिक शहद की नदियां देता है। इस पर पठान अपनी महिलाओं वाली सलवार के नाड़े की गठान बांधते हुए पूछता है कि यदि वहां निर्वस्त्र 140 फुट की हूरें मिलती हैं तो यहां 'हिजाब' के लिए क्यों ह-ला-गु-ला (हल्ला-गुल्ला) हो रहा है ? और शराब वहां हलाल है तो यहां हराम क्यों है ? जिसका जवाब मौलवी देता है।।। जो फ़िल्म में देखें ! ऐसी ही हाई क्वालिटी की मदरसा छाप एजुकेशन के साथ वो बड़ा होता है। फ़िल्म में जॉन अब्राहम और दीपिका पादुकोण भी हैं, जो कहानी को आगे बढ़ाते हैं। इन लोगों को एक दिन खबर मिलती है कि इनकी नज़रों में दुनिया के सबसे बड़े खलनायक अमेरिका ने अफगानिस्तान में इस्लाम को ख़त्म करने का बीड़ा उठाया लिया है तो ये लोग अफगानिस्तान को बचाने काबुल जाते हैं। इसमें जॉन अब्राहम RAW का एजेंट है, मु-सलमान खान ISI का और दीपिका एक इंटरनेट लिबरल है, जो वामीस्लामी एजेंडे को बढ़ाती रहती है। जब ये लोग अफगानिस्तान में होते हैं तो वहां की सरकार, वहां के लोगों को पशुता से मनुष्यत्व की ओर ले जाने की कोशिश करती है, जिसमें भारत सरकार भरपूर मदद करती है और एक ऐसा प्रोजेक्ट जिसके माध्यम से अफगानिस्तान की तस्वीर और तक़दीर बदल सकती है, उस प्रोजेक्ट को लॉंच करना चाहती है, लेकिन 'आई एस आई' और 'आई एस आई एस' के इशारे पर ये पठान गैंग उस प्रोजेक्ट को फैल करने की कोशिश करती है।
वह प्रोजेक्ट है एक बहुत बड़ा बांध जिससे इतनी बिजली पैदा होगी कि अफगानिस्तान उससे अपने यहां इतने उद्योग लगाएगा कि वह चीन को टक्कर दे सके, लेकिन पठान गैंग जो वहां जाकर अफगानिस्तान के साथ खड़ी दिखती है, लेकिन होती तालिबान के साथ है, वह साज़िश करके अड़चने डालती हैं। दीपिका भी नैरेटिव को ध्वस्त करने की कोशिश करती है, जो अफगानिस्तान को विकास करने से रोके, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिलती है। जैसे skybook एक काल्पनिक किताब है और जन्नत भी हिन्दुओं के स्वर्ग की अधकचरी नक़ल मात्र है। इस बीच दीपिका एक आंदोलन में जो भारत के दिशाहीनबाग में हुआ था, भाग लेकर लौटी है और वहां से एक अवैध क्रान्ति को जन्म देती है।
उसके बेटे का नाम वह पप्पू रखती है। पप्पू 15 साल का हो जाता है और दीपिका के पास लौट आता है। एक दिन पप्पू को पिछले जन्म की याद आ जाती है, जिससे उसे पता चलता है कि पिछले जन्म में वह एक कम्युनिस्ट हिन्दू था और पुनर्जन्म को नहीं मानता था लेकिन पुनर्जन्म तो होता है, जिसका गवाह वह ख़ुद है और उसका विश्वास सनातन धर्म में हो जाता है और वह मन से हिन्दू हो जाता है। यह पप्पू अब स्वयं को तुलसी राम कहलाना पसंद करता है। एक दिन तुलसीराम को पठान गैंग की असलियत पता चलती है तो वह दीपिका और भारत सरकार के एजेंट जॉन अब्राहम को बताता है। पठान गैंग तुलसीराम को मारने की साज़िश करती है, लेकिन तुलसीराम अब शिवभक्त है और शिवजी की कृपा से हर बार बच जाता है। फिर पठान गैंग पापिस्तान से RDX मंगवाकर बांध को उड़ाना चाहती है ताकि अफगानिस्तान तरक्की न कर सके और बांध बनाने में मदद करने वाले भारतीय इंजीनियर और सैंकड़ों मजदूर मारे जा सकें। वह rdx प्लांट भी कर देती है। जिसे डिफ्यूज़ करने के लिए भयंकर लड़ाई होती है और बांध को बचा लिया जाता है। इस बीच तालिबान का अटैक होता है, जिसमें वहां के लोगों को बचाने का काम भारत सरकार करती है और अपने नागरिकों को निकाल लेती है। जब तालिबान का प्रभाव वहां बढ़ता है तो भारतीय 'पठान' गैंग उनका सजदा करने जाती है, लेकिन तालिबान उन पर थूकते भी नहीं और उन्हें 'कन्वर्टेड' बताते हैं और मारने के लिए हथियार उठाते हैं। यह देख पठान भारतीय वायुसेना के विमान से, जो भारत लौट रहा होता है, उसके पंखों पर बैठकर और कुछ उसके टायरों से लटककर भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन रास्ते में गिर जाते हैं।
इस तरह जो पठान कौम,बहादुर बताई जाती है, उसकी पोल खुल जाती है। दुनिया को पता चल जाता है कि पठान की गठान हरिसिंह नलवा ने किसी बांधी थी ? यह भी पता लग जाता है कि इनकी दादियों ने तलवार के सामने सलवार खोली थी इसलिए ये पठान हुए, पहले सभी हिन्दू ही थे।आप इसे असली स्टोरी समझकर तो नहीं पढ़ रहे हो न ? जैसे पठानों के पूर्वज सनातनी ही हैं और कबीला पन्थ काल्पनिक है, वैसे ही यह कहानी भी काल्पनिक है।।।'
इस तरह से यह कहानी सोशल साइट पर तेजी से वायरल हो रही है और कहा जा रहा है कि कोई पठान फ़िल्म नहीं देखेगा और जो देखेगा वह पठान ही होगा। हालाँकि हमारे फैक्ट चेक में ये कहानी सही नहीं पाई गई और ना ही इस कहानी के कोई सबूत है। अब तक फिल्म को लेकर कोई बात सामने नहीं आई है जिससे कहा जा सके कि ये कहानी सही है। यह केवल अफवाह है जो इस समय सोशल साइट्स पर तेजी से वायरल हो रही है।
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